जम्मू-कश्मीर: BJP-PDP गठबंधन टूटने के ये हैं 10 सबसे बड़े कारण
आइए, जानते हैं उन 10 बड़ी बातों के बारे में, जिनके चलते भाजपा ने महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया:
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार से अलग होने का ऐलान कर सबको चौंका दिया। पार्टी की तरफ से आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में भाजपा महासचिव राम माधव ने कहा कि सूबे में महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार चलाना मुश्किल हो गया था, लिहाजा समर्थन वापसी का फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि जनता के जनादेश को ध्यान में रखकर हमने जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ सरकार चलाने का निर्णय लिया था, लेकिन अब सबकी सहमति से अलग होने का निर्णय लिया गया है। समर्थन वापसी के बाद सूबे की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
आइए, जानते हैं उन 10 बड़ी बातों के बारे में, जिनके चलते भाजपा ने महबूबा सरकार से समर्थन वापस लेने का फैसला किया:
1- एक मुख्यमंत्री के तौर पर महबूबा मुफ्ती राज्य में बिगड़ते हालात को संभालने में नाकाम रहीं जिससे भाजपा के लिए असहज स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
2- जम्मू-कश्मीर के बिगड़ते हालातों को मद्देनजर रखते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति के बाद समर्थन वापसी का फैसला लिया गया।
3- भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में फ्रीडम ऑफ स्पीच पर भी खतरा बताया। इसके समर्थन में राम माधव ने पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या का भी हवाला दिया।
4- भारतीय जनता पार्टी ने राज्य के विकास के लिए काफी मदद की। केंद्र सरकार भी राज्य सरकार की मदद में काफी आगे रही फिर भी महबूबा मुफ्ती उसका फायदा नहीं उठा पाईं।
5- जम्मू-कश्मीर के भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति भी लगातार बिगड़ती जा रही थी।
6- भाजपा ने कहा है कि अब राज्यपाल शासन के अंतर्गत प्रदेश की स्थिति सुधरने की उम्मीद है।
7- राम माधव ने कई बार कहा कि हम सरकार में छोटे साझेदार थे और इसे सही ढंग से चलाने में काफी दिक्कतें आ रही थीं।
8- महबूबा मुफ्ती ने भाजपा और केंद्र सरकार के कामों में कई बार अड़ंगा डालने की कोशिश की।
9- राज्य में आतंकियों के खिलाफ एकतरफा सीजफायर किया गया, लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं निकला।
10- हाल के दिनों में घाटी में रैडिकलाइजेशन बढ़ी, पर इसे रोकने के लिए महबूबा मुफ्ती ने ठोस कदम नहीं उठाए।