नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के पास सारी शक्तियां केन्द्रित होने की आलोचनाओं को खारिज करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि नरेन्द्र मोदी स्वयं सारी बातों को समझकर एवं अनुभव लेकर काम करने वाले प्रधानमंत्री हैं। वह सबकी सुनते हैं लेकिन अंतिम फैसला वही करते हैं।
जेटली ने कहा कि उनकी स्थिति दस साल के संप्रग शासन के ठीक विपरीत है जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास ‘कोई वास्तविक शक्ति’ नहीं थी।
उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र में प्रधानमंत्री ही अंतिम फैसला करता है। मैं इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि नरेन्द्र मोदी एक मजबूत नेता है लेकिन वह स्वयं सारी बातों को समझकर एवं अनुभव लेकर काम करने वाले प्रधानमंत्री हैं जो सबकी बात सुनते हैं।’
वित्त मंत्री ने इंडिया टीवी के कार्यक्रम ‘आप की अदालत’ में कहा, ‘जैसा कि लोकतंत्र में उम्मीद की जाती है उनके शब्द अंतिम होते हैं। और इसमें कुछ गलत भी नहीं है। वाजपेयी सरकार में भी सबसे विचार-विमर्श किया जाता था लेकिन प्रधानमंत्री के शब्द ही अंतिम होते थे।’
जेटली से यह सवाल किया गया कि द इकानामिस्ट पत्रिका ने मोदी को एक योद्धा वाली सेना करार दिया। इस पर जेटली ने कहा कि उनकी तुलना मनमोहन सिंह से नहीं की जा सकती क्योंकि इसी पत्रिका ने उनके बारे में कहा था, ‘‘उन्हें ऐसे प्रधानमंत्री के रूप में चित्रित किया जाता है जो पद पर तो है लेकिन जिसके पास शक्तियां नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दस साल तक हमारे पास एक ऐसा प्रधानमंत्री था जिसके पास कोई वास्तविक सत्ता नहीं थी। मैं मनमोहन सिंह की व्यक्तिगत कुशलता के कारण उनका कायल हूं लेकिन कांग्रेस ने कभी उन्हें खुलकर काम नहीं करने दिया। यदि कांग्रेस ने उनकी कुशलता के अनुसार उन्हें काम करने दिया होता तो भारत का इतिहास आज भिन्न होता।’’
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