नई दिल्ली: बिहार की राजनीति में राजद,जदयू और कांग्रेस का महागठबंधन टूट गया है और 4 साल बाद एक बार फिर नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ मिलकर सरकार बना ली है। राजनीति में इस वक्त बहस का सबसे चर्चित विषय है कि क्या नीतीश कुमार का एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला सही है?
जिस एनडीए के खिलाफ उन्होंने चुनाव लड़ा उसी के साथ मिलकर वो अब बिहार में नई सरकार चला रहे हैं क्या आपको लगता है कि ऐसा करना गलत है और नीतीश कुमार ने जनादेश का अपमान किया है? क्या महागठबंधन को तोड़कर उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन न करके अवसरवादी राजनीति का परिचय दिया है? क्या महागठबंधन टूटने के लिए अकेले नीतीश कुमार को जिम्मेदार माना जा सकता है?
इन सभी सवालों का जवाब देने के लिए आप khabarindiatv.com की बड़ी बहस में भाग लीजिए और शेयर कीजिए अपने विचार।
बिहार में महागठबंधन से अलग होकर सीएम नीतीश कुमार ने एनडीए में शामिल होकर एक बार फिर नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। राजद और जदयू में तेजस्वी यादव पर लगे आरोपों के बाद से ही राजनीति गर्म हो गई थी और सीएम नीतीश कुमार ने भी इस्तीफ देने के बाद कहा था कि जब तक चला सकता था गठबंधन की सरकार चलाने का प्रयास किया लेकिन जब लगा कि अब काम कर पाना संभव नहीं हो रहा है तो अंतरात्मा की आवाज पर गठबंधन से अलग होने का रास्ता चुना और सीएम पर से अलग हो गया।
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नीतीश अब उस एनडीए के साथ है जिसके खिलाफ उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा था ऐसे में क्या नीतीश कुमार ने जनादेश का अपमान किया है ? क्या उन्होंने एनडीए के साथ गठबंधन करके अपने पुराने सहयोगी राजद और कांग्रेस को धोखा दिया है?
राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस दोनों ने ही नीतीश कुमार पर बिहार की जनता के साथ धोखा करने का आरोप लगाया है। आपको क्या लगता है क्या नीतीश कुमार को अवसरवादी और धोखेबाज नेता माना जा सकता है ?
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