नई दिल्ली: शिवसेना ने नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में वोटिंग नहीं की। वोटिंग से पहले उनके सांसद राज्यसभा से बाहर निकल गए। 24 घंटे में शिवसेना के तेवर बदल गए। लोकसभा में सरकार का साथ दिया लेकिन तभी एक ताकत ने उद्धुव ठाकरे को फैसला बदलने के लिए मजबूर कर दिया। बुधवार सुबह ही शिवसेना ने संकेत दे दिये थे कि वो लोकसभा की तरह राज्यसभा में सरकार का समर्थन नहीं करेगी। यहां सवाल उठता है कि आखिर एक रात में उद्धव ठाकरे का फैसला कैसे बदल गया।
सूत्रों के मुताबिक शिवसेना ने नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया तो सोनिया गांधी नाराज़ हो गईं। कांग्रेस के नेताओं ने सोनिया की नाराज़गी की खबर फौरन उद्धव तक पहुंचाई और मांग की कि राज्यसभा में शिवसेना बिल के खिलाफ वोट करे लेकिन शिवसेना बिल के खिलाफ नहीं दिखना चाहती थी इसीलिये बीच का रास्ता निकाला गया और उन्होंने वॉकआउट कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे से सीधे तौर पर बिल का समर्थन लोकसभा में करने पर निराशा जताई थी। कांग्रेस की इस प्रतिक्रिया के बाद ही मंगलवार को उद्धव ने कहा था कि पार्टी के सांसदों ने स्पष्टता नहीं होने के कारण समर्थन में वोट किया। इसके बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि शिवसेना अपने स्टैंड में बदलाव करेगी।
उद्धव ठाकरे को ये अहसास हुआ कि ये गठबंधन धर्म है। इस धर्म के लिए उसने इस बात की भी परवाह नहीं कि संसद के दो सदनों में एक पार्टी के अलग अलग रुख कैसे हो सकते हैं लेकिन सरकार चलानी है तो शिवसेना को अभी इस तरह के धर्म तो निभाने हीं पड़ेंगे।
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