नई दिल्ली: रूस की राजधानी मॉस्को में हुई मुलाकात के बाद गुरुवार को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी एक बार फिर आमने-सामने थे। हालांकि इस दौरान कई अन्य देशों के विदेश मंत्री भी वर्चुअल मीटिंग में मौजूद थे। इन विदेश मंत्रियों की यह वर्चुअल मीटिंग CICA के अंतर्गत हो रही थी। इस मौके पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के भारत के प्रयासों पर बात की। साथ ही उन्होंने CICA के साथ-साथ अन्य देशों के लिए भारत के योगदान को भी रेखांकित किया। इस मौके पर चीन के विदेश मंत्री के साथ उनकी कोई द्विपक्षीय बात नहीं हुई।
मॉस्को में मिले थे दोनों देशों के विदेश मंत्री
बता दें कि भारत 1999 में CICA के गठन के समय से ही इसका सदस्य है। CICA के अंतर्गत हुई इस वर्चुअल मीटिंग से पहले दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने मॉस्को में मुलाकात के बाद एक संयुक्त बयान जारी किया था। 5 बिंदुओं वाली आम सहमति में, चीन के विदेश मंत्री वांग और भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने सहमति व्यक्त की थी कि चीन और भारत को दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमति से मार्गदर्शन लेना चाहिए, जिसमें मतभेदों का संघर्ष में नहीं बदलने देना शामिल है। इसमें कहा गया था कि सीमा क्षेत्रों में मौजूदा संघर्ष दोनों पक्षों के हित में नहीं है। दोनों देशों के सैनिकों को अपने वर्तमान संवाद को जारी रखना चाहिए, जितनी जल्दी हो सके सेना को पीछे हटना चाहिए, आवश्यक दूरी बनाए रखना चाहिए और मौजूदा तनाव को कम करना चाहिए।
लगातार जारी हैं तनाव कम करने की कोशिशें
मॉस्को में हुई इस मीटिंग के बाद पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के लिए कई कदमों की घोषणा करते हुए भारत और चीन की सेनाओं ने अग्रिम मोर्चे पर और अधिक सैनिक न भेजने का निर्णय किया है। भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता के संबंध में भारतीय सेना और चीनी सेना ने मंगलवार देर शाम एक संयुक्त बयान में कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति को स्थिर करने के मुद्दे पर दोनों पक्षों ने गहराई से विचारों का अदान-प्रदान किया और दोनों पक्ष अपने नेताओं के बीच बनी महत्वपूर्ण सहमति के ईमानदारी से क्रियान्वयन पर सहमत हुए थे। पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को समाप्त करने के उद्देश्य से दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच बीते सोमवार को 14 घंटे तक बैठक चली थी।
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