नई दिल्ली. छतीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंह देव ने शुक्रवार को कहा कि अगर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार कोरोना वायरस की जांच को लेकर आक्रामक रुख अपनाती तो मौजूदा समय में इस महामारी से लड़ने में भारत की स्थिति ज्यादा बेहतर होती। देव ने ''पीटीआई-भाषा'' को दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि अगले कुछ दिनों के भीतर राज्य में ''पूल टेस्टिंग'' (एक साथ कई लोगों जांच) आरंभ होगी।
उनके मुताबिक, राज्य सरकार 75,000 रैपिड टेस्टिंग किट खरीद रही है और केंद्र सरकार से भी कुछ किट मिलने की उम्मीद है। मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार शनिवार तक छत्तीसगढ़ के लिए जांच किट भेज सकती है, हालांकि यह जानकारी नहीं है कि कितनी संख्या में किट प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकर्मियों के लिए जरूरी निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की आपूर्ति भी कम है।
कई राज्यों के पूल टेस्टिंग की तैयारी करने सन्दर्भ में पूछे जाने पर देव ने कहा, '' हमें इसके लिए मंगलवार को आईसीएमआर ने मंजूरी दी। हमने एम्स, रायपुर एवं पंडित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज (रायपुर) में बात की है। वे इसके लिये तैयार हैं।'' छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, ‘‘एम्स-रायपुर में 350-400 नमूनों की जांच की क्षमता है। पूल टेस्टिंग से यह क्षमता 2000 हजार से ऊपर चली जायेगी। इसी तरह रायपुर मेडिकल कॉलेज की क्षमता भी 100-200 नमूनों की जांच से बढ़कर 500-600 तक पहुंच जाएगी।’’
गौरतलब है कि टेस्टिंग तकनीक में अगर 10 नमूनों की जांच करने पर सबकी रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो माना जाता है कि सभी संक्रमण मुक्त हैं। अगर इसमें संक्रमण पाया जाता है तो इन नमूनों की जांच अलग-अलग करनी पड़ती है। देव ने कहा कि दुनिया के विभिन्न देशों में कोरोना वायरस से निपटने की अलग-अलग व्यवस्थाएं हैं। किसी देश ने लॉकडाउन की पैरवी तो किसी ने जांच के माध्यम से स्थिति को नियंत्रित किया।
उन्होंने आरोप लगाया, ''केंद्र सरकार की व्यवस्था सीमित जांच की रही है। पहले सिर्फ एक जांच केंद्र था और अब 220 लैब हैं। इसका मतलब है कि सरकार पहले से तैयार नहीं थी या उसके पास कोई योजना नहीं थी।'' देव ने कहा कि केंद्र सरकार अगर जांच के संदर्भ में आक्रामक रुख अपनाती तो मौजूदा समय में इस महामारी से लड़ने में भारत की स्थिति ज्यादा बेहतर होती। उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ ने प्रयास किया और इस वायरस के प्रसार को रोकने में सफल रहा।
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