अगर मुझे मुख्यमंत्री के रुप में पेश करते तो नतीजे अलग होते: शत्रुघ्न सिन्हा
नयी दिल्ली: एक ज़माने के बॉलीवुड स्टार और वरिष्ठ बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का कहना है कि अगर उन्हें बिहार के भावी मुख्यमंत्री के रुप में पेश किया गया होता तो चुनाव नतीजों में ‘कुछ
रजत शर्मा: क्या करना चाहिए.. करेक्शन कोर्स.. क्या रास्ता होना चाहिए?
शत्रुघ्न सिन्हा: देखिए मैं आप लोगों के उतना विद्वान नहीं हूं.. लेकिन करेक्शन कोर्स ये होना चाहिए.. आप जरा खुद बताइए कि क्या वजह है कि कुछ लोगों ने ठान लिया कि हम तो डूबेंगे सनम तुझको भी ले डूबेंगे.. हमने तो राइटिंग ऑन द वॉल देख ली थी.. उसके बावजूद हम पूरी कोशिश कर रहे थे.. हमें तो कई बार लगता है कि इन लोगों ने अपनी हरकतों से.. गलत ब्रीफिंग देकर.. हमारे प्रधानमंत्री सुप्रीम लीडर को गांव और कस्बों में 40-40 रैली करा दी.. कई बार लगता है कि ये जो सीटें आयीं भारतीय जनता पार्टी को शायद इतनी भी सीटें नहीं आतीं अगर प्रधानमंत्री रैली नहीं करते.. लेकिन क्या ये सही तरीका है.. प्रधानमंत्री का बोझ हम लोग हल्का नहीं कर सकते थे.. हम जैसे लोगों को जैसा आपने अभी बताया बंगाल और उत्तर प्रदेश की बात की.. हम जैसे लोगों को और सामने नहीं भेजा जा सकता था.. लेकिन यहां क्या वजह है आप जानते हैं बेहतर.. बेहतर समझेंगे.. एनॉलिसिस करेंगे.. एनॉलिसिस कीजिए और इसीलिए मैंने कहा कि क्या करना चाहिए.. उसके बाद ही होगा.. पहले अकाउंटेबिलिटी फिक्स होगी.. उसके बाद जो जिम्मेदार होंगे.. उन्होंने चाहे कोई एक्शन है.. चाहे कोई सबक हो.. कोई लेसन मिलना चाहिए.. ताकि आने वाला जेनरेशन दूसरे प्रांत में.. ऐसा न हो.. अभी जो एसिड टेस्ट हुआ बिहार में.. अभी तो बहुत सारे टेस्ट होने है बंगाल में..
रजत शर्मा: बहुत सारे लोगों ने ये कहा शत्रु जी चाहे वो अनंत कुमार हों.. चाहे भूपेंद्र यादव हों.. जो बाहर से लोग आए थे.. वो इस कैंपेन को चला रहे थे... और जो बिहार के लोग थे वो पूरे कैंपेन में नहीं थे.. रणनीति बनाने में नहीं थे?
शत्रुघ्न सिन्हा: मैं आपकी बात से सहमत हूं.. हालांकि जब मैं बिहारी और बाहरी की बात करता हूं तो मेरी नजरों में हिंदुस्तान एक है और सब हिंदुस्तानी हैं, सब भारतीय हैं लेकिन यहां पर इतने सारे नेताओं का जमावड़ा लगा दिया गया, किसी को पंजाब से किसी को महाराष्ट्र से.. दिल्ली से इतने लोगों को जिनकी न जमीन पर पकड़ न जमीनी हकीकत की पकड़.. न यहां जाति समीकरण समझते हैं.. न यहां भाषा की पकड़ और ऐसे ऐसे लोगों को यहां लाकर महीनों-महीनों रखा गया.. इतना खर्च हुआ.. खर्च का मतलब.. टैनेंट के मामले में.. एनर्जी के मामले में भी.. सारा यहां करने के बहाने बैठा दिया.. और क्या परिणाम निकला.. इसके पहले भी हमने सबक नहीं लिया.. दिल्ली में भी इतने लोगों को बिठा दिया था.. चाहे हम बिठा देते हैं.. डेस्पिरेशन शो करता है.. पिछली बार हमारे मंत्री हैं राजीव प्रताप रूडी और धर्मेंद्र प्रधान... ये दिल्ली में एक-एक वार्ड से हारे.. कहीं 75 हजार वोट से कहीं 78 हजार वोट से लोग हारे.. यहां भी इस तरह से.. ये तो अच्छी बात नहीं है... हमको बहुत दुख है इस बात का..
क्या मंत्री नहीं बनाये जाने से नाराज़ हैं शत्रुघ्न सिन्हा, पड़ें आगे: