अगर मुझे मुख्यमंत्री के रुप में पेश करते तो नतीजे अलग होते: शत्रुघ्न सिन्हा
नयी दिल्ली: एक ज़माने के बॉलीवुड स्टार और वरिष्ठ बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का कहना है कि अगर उन्हें बिहार के भावी मुख्यमंत्री के रुप में पेश किया गया होता तो चुनाव नतीजों में ‘कुछ
नयी दिल्ली: एक ज़माने के बॉलीवुड स्टार और वरिष्ठ बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा का कहना है कि अगर उन्हें बिहार के भावी मुख्यमंत्री के रुप में पेश किया गया होता तो चुनाव नतीजों में ‘कुछ फ़र्क’ पड़ सकता था।
हाल ही में हुए बिहार विधान सभा चुनाव में बीजेपी को लालू-नीतीश के महागठबंधन के हाथों बुरी हार का सामना करना पड़ा है।
शत्रुघ्न सिन्हा रविवार को रजत शर्मा के शो आज की बात में सवालों के जवाब दे रहे थे। पेश है रजत शर्मा और शत्रुघ्न सिन्हा की ख़ास बातचीत के ख़ास अंश।
रजत शर्मा: मैं आपसे एक बात जरूर पूछना चाहता हूं कि क्या आपके आंकलन में भारतीय जनता पार्टी बिहारी बाबू को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार डिक्लेयर करती.. शत्रुघ्न सिन्हा इस पूरे कैंपेन के दिल में होते तो क्या परिणाम दूसरे होते..
शत्रुघ्न सिन्हा: देखिए मैं उतनी बड़ी बात तो नहीं कर सकता हूं लेकिन हां इतना जरूर लगता है कि जानबूझकर आपने बिहार के किसी लाडले को बिहार के धरतीपुत्र को बिहार के ओरिजनल बिहारी बाबू को उसे जानबूझकर.. किन कारणों से आपने अलग रखा है.. अलग रखने से जाहिर है कि मेरे समर्थकों और प्रशंसकों पर उसका असर तो पड़ा होगा.. मैं ये नहीं कह सकता कि परिणाम में कितना फर्क पड़ता.. लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं कि थोड़ा फर्क तो जरूर पड़ता.. जितनी सीटें आई हैं.. उम्मीद करता हूं.. समझ सकता हूं... उससे तो ज्यादा ही सीटें आतीं।
रजत शर्मा: आप अकेले ऐसे नेता है बीजेपी के जो शुरू से कह रहे थे कि नीतीश जीतेंगे और बड़े मार्जिन से जीतेंगे और वो हो भी गया..
शत्रुघ्न सिन्हा: रजत जी मैं शुरू से राइटिंग ऑन द वॉल देख रहा था.. मैंने बड़ी कोशिश की कि अपने लोगों को नसीहत नहीं सुझाव दूं.. थोड़ा आईना दिखाने की कोशिश की। पिछली बार भी केजरीवाल के इलेक्शन में दिल्ली में मैंने थोड़ा बताने की कोशिश की थी कि राइटिंग ऑफ द वॉल क्या चल रहा है.. और उनके खिलाफ इतना निगेटिव प्रचार मत करो.. मैंने यहां भी कहा कि निगेटिविटी खत्म करें.. और ये जो भाषा का प्रयोग हो रहा है.. निगेटिव जंगलराज वगैरह.. वो जंगलराज कई लोगों ने देखा ही नहीं है.. न्यू लोगों ने.. और कई लोग जो जंगलराज के हिमायती रहे हैं.. समर्थक रहे हैं.. तथाकथित जंगलराज के प्रशंसक रहे हैं.. या लाभान्वित हुए हैं.. उनको तकलीफ भी हो रही थी.. कि जंगलराज कहकर हमें भी भागीदार बना रहे हैं.. हमें फिर जंगली कह रहे हैं.. ये अच्छा नहीं था.. इससे सिम्पथी मिलती है सामने वाले को.. हमारी कोशिश थी कि हम इश्यूज पर बात करें.. डेवलपमेंट पर बात करें.. अपने विजन पर बात करें.. कैसे हमें बिहार को आगे बढ़ाना है.. कैसे और गरिमामयी करना है बिहार को हमकों.. इस पर आगे बढ़ें..
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