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मैं आरएसएस के विचारों से सहमत नहीं: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

नीतीश ने कहा कि आरएसएस के आठ हिस्सों में से एक ही हिस्सा दिखता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आरएसएस के विचारों से वह सहमत नहीं हैं, लेकिन पूरे देश में आरएसएस का जनाधार बढ़ा है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।

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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यहां मंगलवार को कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विचारों से सहमत नहीं हैं, लेकिन उसके नियमित रूप से काम करने का प्रशंसक हैं। उन्होंने दावा किया कि बिहार में आपराधिक घटनाओं में कमी आई है और राज्य में न्याय के साथ विकास हो रहा है। पटना में एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में नीतीश ने कहा कि आरएसएस के आठ हिस्सों में से एक ही हिस्सा दिखता है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आरएसएस के विचारों से वह सहमत नहीं हैं, लेकिन पूरे देश में आरएसएस का जनाधार बढ़ा है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।

उन्होंने खुद को राम मनोहर लोहिया, महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण के विचारों से प्रभावित बताते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण या तो अदालत के फैसले के बाद होना चाहिए या फिर आपसी सहमति से बनना चाहिए। 

पहले भाजपा का साथ छोड़ा था, अब फिर भाजपा के साथ क्यों? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि परिस्थितियों और सोच में परिवर्तन आया है। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम कर रहा हूं। परिस्थितियां बदल गई हैं। भारतीय जनता पार्टी हमारी पुरानी सहयोगी रही है, लेकिन कुछ मुद्दों पर जो स्टैंड हमारा पुराना था, आज भी वही है।" 

उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों के अपने-अपने विचार हैं, लेकिन जब साथ मिलकर सरकार चलाते हैं तो फिर मिलकर काम करना होता है। 

नीतीश कुमार ने राजद के साथ जाने को अपनी गलती बताते हुए कहा कि कुछ परिस्थितियां ऐसी बन गई थीं कि ऐसा हुआ। उन्होंने कहा, "जिस महागठबंधन से निकलकर हमलोग बाहर हो गए, उसका नामकरण भी हमने ही किया था।" 

बिहार में शराबबंदी की चर्चा करते हुए नीतीश ने कहा कि बिहार में सामाजिक जागरूकता का काम लगातार जारी है। बिहार और गुजरात में शराबबंदी के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि पूरे देश में शराबबंदी लागू होनी चाहिए। उन्होंने शराबबंदी से लोगों के जीवनस्तर में काफी सुधार होने का दावा करते हुए कहा कि इससे महिलाओं में खुशी है। 

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि जद (यू) पारिवारिक पार्टी नहीं है, लोग जिसे चाहेंगे, वही पार्टी का अध्यक्ष बनेगा। 

राफेल सौदे में गड़बड़ी को लेकर क्या केंद्र सरकार को क्लिनचिट देंगे? इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा, "मैं इतना बड़ा अदमी नहीं कि किसी को क्लिनचिट दूं या नहीं दूं। इसका अधिकार मैं नहीं रखता। राफेल विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय फैसला दे चुका है और संसद में बहस हो गई है तो इसकी चर्चा अब बंद होनी चाहिए।"

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