हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017: कुछ अहम सीटें जहां हो सकता है दिलचस्प मुकाबला
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के लिए वोटिंग गुरुवार को होगी। 68 विधानसभा सीटों पर होनेवाली वोटिंग के लिए सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है।
नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 के लिए वोटिंग गुरुवार को होगी। 68 विधानसभा सीटों पर होनेवाली वोटिंग के लिए सारी तैयारियां पूरी हो चुकी है। हम आपको इस चुनाव की कुछ ऐसी सीटों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके परिणाम पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।
रोहडू विधानसभा सीट
सीट संख्या-67 यानी रोहडू विधानसभा क्षेत्र की कुल आबादी 112,238 है, जिसमें से इस दफा 68,568 मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। शिमला लोकसभा क्षेत्र और शिमला जिले का हिस्सा रोहडू विधानसभा किसी पहचान का मोहताज नहीं है।
रोहडू पर कांग्रेस का एक छत्र राज रहा है। 1977 को छोड़ दें तो यहां हुए अब तक आठ चुनावों में कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल कर भाजपा को इस क्षेत्र से महरूम रखा है। इस विधानसभा क्षेत्र से अकेले ही छह बार के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने पांच बार लगातार चुनाव जीता है। इस कारण इस क्षेत्र को वीरभद्र की कर्मभूमि के नाम से जाना जाता है।
पालमपुर विधानसभा सीट
सीट संख्या-19 यानी पालमपुर विधानसभा क्षेत्र अति विशिष्ट क्षेत्रों में से एक है। इस क्षेत्र की जनता ने हमेशा ही जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर मतदान किया है। इसका उदाहरण इस क्षेत्र के मौजूदा विधायक और कांग्रेस के दिग्गज नेता बृज बिहारी लाल बुटेल है। बुटेल सूद बिरादरी से आते हैं। हैरत की बात यह है कि इस क्षेत्र में सूद बिरादरी का प्रतिशत 2 फीसदी से अधिक नहीं है। पालमपुर क्षेत्र हिमाचल प्रदेश में शिक्षा हब के रूप में जाना जाता है। चाय के बागानों के कारण यह क्षेत्र एक व्यापारिक केंद्र के रूप में उभरा है।
वहीं भाजपा में इस सीट को लेकर चली खींचतान ने पालमपुर को हॉट सीट में तब्दील कर दिया है। दरअसल, पालमपुर विधानसभा से लगातार तीन चुनाव लड़ चुके प्रवीण कुमार ने टिकट न मिलने के कारण पार्टी के खिलाफ चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। इन तीन चुनाव में दो बार कांग्रस और एक बार उन्हें जीत मिली है। भाजपा ने इस दफा प्रदेश महिला मोर्चा की अध्यक्ष इंदु गोस्वामी को मैदान में उतारकर कांग्रेस के लिए राह मुश्किल कर दी है। इंदू को टिकट मिलने के बाद प्रधानमंत्री ने पालमपुर में रैली कर उन्हें जीताने की अपील की थी। इसके अलावा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के बाल मुकुंद, माकपा के लेख राज और भाजपा से पत्ता कटने के बाद प्रवीण कुमार निर्दलीय चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं। पालमपुर विधानसभा सीट पर विरासत और खुद को साबित करने की जंग में जीत किसकी होगी यह देखना दिलचस्प रहेगा।
सोलन विधानसभा सीट
हिमाचल प्रदेश विधानसभा सीट संख्या-53 सोलन विधानसभा। लोकसभा क्षेत्र शिमला और सोलन जिले के अंर्तगत आने वाली सोलन विधानसभा की कुल आबादी वर्तमान में 1,20,238 के आसपास है, जिसमें से इस बार 80,192 मतदाता अपने मतों का प्रयोग करेंगे। सोलन विधानसभा क्षेत्र में 1977 के बाद से अब तक हुए नौ विधानसभा चुनाव में चार बार भाजपा, चार बार कांग्रेस और एक बार जनता पार्टी को जीत मिली है। आंकड़े बताते हैं कि यहां की जनता किसी पार्टी विशेष के बजाय क्षेत्रीय व्यक्तित्व पर भरोसा जताती है। यही कारण है कि यहां पर कोई भी नेता दो बार से ज्यादा अपनी सीट नहीं बचा पाया है। चाहे वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राजीव बिंदल हों या फिर कांग्रेस की कृष्णा मोहिनी।
वर्तमान में सोलन विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस नेता और मौजूदा विधायक धनी राम शांडिल का कब्जा है। धनीराम के लगातार सफल प्र्दशन को देखकर कांग्रेस ने उन्हें दोबारा से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। धनीराम पर अपने विजयरथ को आगे बढ़ाने और कांग्रेस को इस क्षेत्र में मजबूत करने का दबाव रहेगा। वहीं भाजपा ने राजेश कश्यप को धनीराम के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है। पेशे से डॉक्टर भाजपा प्रत्याशी डॉ. राजेश कश्यप का मुकाबला अपने ही ससुर और कांग्रेस प्रत्याशी कर्नल धनीराम से है।
कश्यप पिछले चुनावों में अपने ससुर के लिए वोट मांग रहे थे और आज उन्हीं के खिलाफ वोट मांगते नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि सोलन विधानसभा में दोनों उम्मीदवार एक-दूसरे की कमियां गिनाने के बजाय अपनी प्राथमिकताएं बताने में लगे हैं।
सुजानपुर सीट
सुजानपुर सीट भाजपा के लिए हमेशा मुश्किल रही है लेकिन इस बार कांग्रेस के दिग्गज नेता और उम्मीदवार रजिंदर सिंह राणा के लिए जीत हासिल करना कड़ी चुनौती बन चुका है। धूमल ने 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में हमीरपुर से चुनाव लड़ा था। धूमल ने इससे पहले तीन चुनाव हमीरपुर जिले की बामसन सीट से लड़े थे लेकिन अमित शाह की रणनीति के तहत उनका निर्वाचन क्षेत्र सुजानपुर कर दिया गया है। सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा विधायक नरेंद्र ठाकुर को धूमल की जगह हमीरपुर से खड़ा किया गया है। धूमल को सुजानपुर भेजने के पीछे शाह का मकसद सुजानपुर सीट पर कब्जा जमाने का है जो हमेशा से भाजपा के लिए टेढ़ी खीर रही है। जबकि हमीरपुर को धूमल और भाजपा का गढ़ कहा जाता है। सुजानपुर निर्वाचन क्षेत्र हमीरपुर जिले में स्थित है और हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है जिस पर धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर का कब्जा है।
2011 की जनगणना के मुताबिक, सुजानपुर की कुल आबादी 82,162 है। इसमें से 90.33 फीसदी आबादी ग्रामीण है और 9.67 फीसदी शहरी। क्षेत्र की कुल आबादी में अनुसूचित जाति का 24.17 फीसदी और अनूसूचित जनजाति का करीब 0.19 फीसदी हिस्सा है।