हार को जीत में नहीं बदलने तक चैन से नहीं बैठूंगा: हरीश रावत
पिछले साल की शुरूआत में हुए विधानसभा चुनावों में हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा था...
देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज घोषणा की कि वह जब तक प्रदेश में कांग्रेस की हार को जीत में नहीं बदल देते, तब तक वह चैन से नहीं बैठेंगे। यहां संवाददाता सम्मेलन में रावत ने कहा, '2017 में विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद मैंने कहा था कि मैं चैन से नहीं बैठूंगा और पूरे प्रदेश का भ्रमण करूंगा। जब तक हार को जीत में नहीं बदल देता, तब तक मैं चैन से नहीं बैठूंगा।'
पिछले साल की शुरूआत में हुए विधानसभा चुनावों में हरीश रावत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा था और प्रदेश की 70 सीटों में से वह 11 सीटों पर सिमट गई थी। खुद पूर्व मुख्यमंत्री को दो सीटों हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा पर हार गए थे। चुनावों में विजयी रही भाजपा को 57 सीटों पर विजय हासिल हुई थी।
उन्होंने कहा कि वह प्रदेश का भ्रमण करते रहेंगे और उनका लक्ष्य 100 पूजास्थलों का दर्शन करना है। इसके अलावा, रावत ने कहा कि दलितों से जुडने का भी उनका कार्यक्रम भी रहेगा। प्रदेश में किसानों के बाद अब दो ट्रांसपोर्टरों के कथित रूप से आत्महत्या करने का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि राज्य सरकार को खेती और ट्रांसपोर्ट जैसे दवाब से जूझ रहे क्षेत्रों में काम करने वालों को प्रोत्साहन राशि देनी चाहिए।
उन्होंने कहा, 'खेती और ट्रांसपोर्ट जैसे क्षेत्रों में काफी दवाब है। हालांकि, राज्य सरकार इसमें कोई कर राहत तो नहीं दे सकती लेकिन प्रोत्साहन राशि देकर इन क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों को दवाब से मुक्ति दिलाई जा सकती है।' उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को एक विशेषज्ञ समिति गठित कर इस बात का मूल्यांकन करना चाहिए कि जीएसटी के लागू होने के बाद किन क्षेत्रों का नुकसान हुआ है और समिति के सुझावों के आधार पर सरकार इसका समाधान निकाल सकती है।
हरिद्वार जिले के कटारपुर में 'गौरक्षा बलिदान दिवस' मनाये जाने को राज्य सरकार द्वारा सांप्रदायिकता को बढावा देने वाला बताते हुए रावत ने कहा कि इससे अच्छा होता कि सरकार वहां गाय अनुसंधान व चिकित्सा केंद्र स्थापित करती।