भोपाल: कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को 2019 के लोकसभा चुनाव में गुना शिवपुरी लोकसभा सीट से चुनाव हराकर देशभर में सुर्खियों में आए भाजपा सांसद कृष्णपाल सिंह यादव का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया गया है। सोमवार को अशोकनगर के मुंगावली एसडीएम ने भाजपा सांसद डॉक्टर के पी यादव और उनके बेटे के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया। डॉक्टर के पी यादव और उनके बेटे का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर प्रतिवेदन के लिए एडीएम अशोकनगर को भेज दिया गया है।
मामला सन 2014 का है एसडीएम मुंगावली को मिली शिकायत में बताया गया था कि भाजपा सांसद के पी यादव ने अपने बेटे को आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए अपनी वार्षिक आय क्रीमी लेयर 8 लाख प्रति वर्ष से कम बताई थी लेकिन जांच में एसडीएम ने पाया कि सांसद कृष्णपाल सिंह यादव की वार्षिक आय 8 लाख से ज्यादा और लोकसभा चुनाव के दौरान यादव ने अपनी आय 39 लाख बताई थी दोनों आय में अंतर होने के चलते मुंगावली से कांग्रेस विधायक बृजेंद्र सिंह यादव ने इसकी शिकायत एसडीएम से की थी जांच के बाद एसडीएम ने जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर इसका प्रतिवेदन एडीएम को भेज दिया है।
गुना सांसद केपी यादव का जाति प्रमाण पत्र निरस्त
यह शिकायत मुंगावली के कांग्रेस विधायक बृजेंद्र सिंह यादव ने पिछले महीने प्रशासन को की थी जिसमें कागज भेज कर उन्होंने बताया था कि डॉक्टर के पी यादव द्वारा बीस दिसंबर 2014 में पिछड़ा वर्ग का जो जाति प्रमाण पत्र हासिल किया गया उसी दौरान उन्होंने अपनी आय 1 लाख से कम होना बताई थी, वही 23 जुलाई 2019 में उनके पुत्र सार्थक यादव ने जो जाति प्रमाण पत्र हासिल किया है उसमें आय 5 लाख से कम दर्शाइ है वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपनी आय 39 लाख बताई थी।
वहीं इस मामले की शिकायत दर्ज कराने वाले मुंगावली विधायक बृजेंद्र सिंह यादव ने सांसद डॉक्टर के पी यादव और उनके बेटे के जाति प्रमाण पत्र निरस्त होने के बाद उन पर धोखाधड़ी और गलत जानकारी देने का मामला दर्ज कराने की मांग की है। बृजेंद्र यादव के मुताबिक सांसद ने गरीब का हक मारकर इसका फायदा अपने बच्चे को दिलवाना चाहा यह नियम विरुद्ध है।
विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर सांसद यादव और उनके बेटे सार्थक यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 466 दस्तावेज की कूट रचना और 181 शपथ दिलाने या अभी पुष्टि पर झूठा बयान के तहत मामला दर्ज हो सकता है। यदि ऐसा हुआ और इन मामलों में सांसद के पी यादव दोषी पाए गए तो अधिकतम 7 वर्ष तक की सजा हो सकती है। ऐसी स्थिति में केपी यादव की लोकसभा सदस्यता भी समाप्त हो सकती है।
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