अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह राज्यसभा में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के निर्वाचन के खिलाफ भाजपा के बलवंतसिंह राजपूत की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के लिए हामी भर दी है। पिछले ही साल संसद के ऊपरी सदन में चुन कर आए पटेल के लिए यह बड़ा झटका है। न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी ने राजपूत की याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाने वाली पटेल की अर्जी को खारिज कर दिया। अदालत इस मामले में 19 नवंबर को सुनवाई करेगी। पटेल ने पिछले साल राज्यसभा के लिए हुए चुनाव में राजपूत को हराया था। राजपूत कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये थे।
निर्वाचन आयोग द्वारा कांग्रेस के बागी विधायकों भोला भाई गोहिल और राघव भाई पटेल के मत रद्द किये जाने के बाद चुनाव में पटेल को जीत मिली थी। दोनों के मत रद्द होने के कारण जीत के लिए जरूरी मतों की संख्या 45 से कम होकर 44 हो गयी थी। पटेल के निर्वाचन के तुरंत बाद राजपूत ने गुजरात उच्च न्यायालय में अर्जी देकर बागी विधायकों के मत रद्द करने के आयोग के फैसले को चुनौती दी। राजपूत ने अदालत में दलील दी कि यदि दोनों मतों की गिनती हुई होती तो उन्हें जीत मिलती।
राजपूत ने यह भी आरोप लगाया था कि चुनाव से पहले पटेल पार्टी के विधायकों को बेंगलुरू के रिसॉर्ट में लेकर गये थे, जो मतदाताओं को रिश्वत देने के समान है। पटेल ने राजपूत की याचिका को चुनौती देते हुए उसे खारिज करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि कानून के मुताबित राजपूत को उन्हें याचिका की सत्यापित प्रति सौंपनी चाहिये थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
उच्च न्यायालय ने हालांकि, उनकी अर्जी खारिज कर दी और कहा कि याचिकाकर्ता ने कमोबेश कानून के प्रावधानों का पालन किया और त्रुटियों को आसानी से दूर किया जा सकता है। उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ पटेल ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की और कहा कि राजपूत की याचिका में कोई दम नहीं है और उसमें कोई ठोस कारण भी नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने गुजरात उच्च न्यायालय के अप्रैल के फैसले को चुनौती दी थी।
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