अहमदाबाद: गुजरात में पिछले 22 सालों से बीजेपी का जादू बरकरार है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गढ़ गुजरात में ही 2 विधानसभा सीटें ऐसी है जिस पर बीजेपी को एक बार भी जीत नसीब नहीं हुई। ये दो सीटें है राजकोट जिले की जसदान और तापी की व्यारा सीट। इन सीटों से गैर-भाजपा उम्मीदवार ही जीते हैं। बीते 52 सालों में हुए 12 चुनावों में यहां जनसंघ या भाजपा को कभी जीत नहीं मिली।
हालांकि इस बार बीजेपी जसदान और व्यारा पर जीत हासिल करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही है। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों की रैलियां इन विधानसभाओं में रखी गई थी।
जसदान से बीजेपी का न जीतना इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि इस सीट पर मुस्लिम आबादी राज्य के औसतन 12 फीसदी की तुलना में महज 2.5 फीसदी ही है। इतना ही नहीं यहां के प्रतिष्ठित राजपरिवार के सदस्य सत्यजीत कुमार खच्चर का भाजपा को समर्थन प्राप्त है। सत्यजीत कुमार खच्चर 27 नवंबर को पीएम मोदी की रैली में भी मौजूद थे।
‘बीजेपी की हार का कारण है अशिक्षा’
सत्यजीत का कहना है कि जसदान में कांग्रेस के समर्थन की वजह और बीजेपी के न जीत पाने का कारण यहां के लोगों में शिक्षा का आभाव होना है। उन्होंने बताया कि अब समय के साथ यहां शिक्षा के स्तर में सुधार हो रहा है, जिससे एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है।
कांग्रेस नहीं तो निर्दलीय जीते, लेकिन BJP नहीं
जसदान की सीट से कांग्रेस पार्टी को 8 बार जीत मिली है और 4 बार निर्दलीय प्रत्याशियों को जीत मिली है। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के सहयोगी दिनेश बम्भानिया के पिता भीखालाल ने यहां 1990 में कांग्रेस उम्मीदवार कुंवरजी बावलिया के खिलाफ चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की।
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