अहमदाबाद: भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को मात देकर स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। हालांकि बीजेपी को सीटों के मामले में पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले बड़ा नुकसान हुआ है, वहीं कांग्रेस ने 2012 के चुनावों से ज्यादा सीटें जीती हैं। कई सीटें ऐसी भी रहीं जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच हार-जीत का अंतर कुछ सौ वोट रहे। लेकिन, इन सबके बीच जो चीज सबसे ज्यादा चौंकाती है वह है NOTA के वोट। गुजरात विधानसभा चुनावों में जनता ने 1.8 प्रतिशत वोट नोटा को दिए।
नोटा के ये 1.8 प्रतिशत वोट या लगभग 5.5 लाख वोट इस बात का सबूत हैं कि NOTA पर बटन दबाने वाली जनता अपने जनप्रतिनिधियों से काफी नाराज थी। प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी, और यदि उन्होंने बीजेपी से नाराजगी के चलते NOTA को वोट किया तो यह कांग्रेस के लिए कोई शुभ संकेत नहीं कहा जाएगा। इसका साफ मतलब होता है कि इस विकल्प को चुनने वाली जनता बीजेपी के साथ-साथ कांग्रेस और अन्य दलों के उम्मीदवारों से भी नाउम्मीद हो चुकी थी। आपको बता दें कि वोट प्रतिशत के मामले में NOTA बीजेपी, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों के बाद चौथे नंबर पर रहा।
सीटों की बात करें तो वोटों की संख्या के आधार पर NOTA गुजरात के अकोटा, अमरेली बायद, भावनगर ईस्ट, भुज, दांता, दरियापुर, मणिनगर, पालनपुर समेत गुजरात की दर्जनों सीटों पर तीसरे नंबर पर रहा। गुजरात की अधिकांश सीटों पर नोटा या तो तीसरे या चौथे नंबर पर रहा। यह ट्रेंड चुनावी पंडितों के लिए भी काफी चौंकाने वाला है क्योंकि इससे यह साफ पता चलता है कि NOTA जनता द्वारा अपनी नाराजगी जताने के तरीके के रूप में धीरे-धीरे एक मजबूत विकल्प के तौर पर उभर रहा है।
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