नई दिल्ली: बिहार में अभी दो चरण का चुनाव होना बाकी है, लेकिन सट्टा बाजार के ताजा कयास ने एक अलग तरह की सरगर्मियां पैदा कर दी हैं। राज्यों के विधानसभा चुनाव से लेकर पांच सालों में एक बार होने वाले लोकसभा चुनाव तक में अपने गणित की बाजी बिठाने वाला सट्टा बाजार इस बार लालू-नीतीश और कांग्रेस के महागठबंधन को भाजपा नीत एनडीए से ज्यादा तवज्जो दे रहा है। सट्टा मार्केट की माने तो इस बिहार चुनाव में एनडीए गठबंधन महागठबंधन से पिछड़ता दिख रहा है। हालांकि सट्टा बाजार इस बात से भी इनकार नहीं कर रहा है, कि बाकी बचे दो चरणों में बाजी पलट सकती है। गौरतलब है कि बिहार में 1 नवंबर और 5 नवंबर को दो चरण के विधानसभा चुनाव होने बाकी हैं। चुनाव परिणाम 8 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
क्या कहता है सट्टा बाजार का गणित-
243 विधानसभा सीटों वाले बिहार में भाजपा नीत एनडीए की 110 और अकेले भाजपा की 94 सीटों पर जीत आंकी जा रही है। वहीं नीतीश और लालू के गठबंधन को सट्टा बाजार 127 से 129 सीटें देने को तैयार है। सट्टा बाजार ने पहले इस महागठबंधन को 100 से कम सीटें जीतने का अनुमान लगाया था। NDA को लेकर सट्टा बाजार की दिलचस्पी भी थोड़ी कम हुई है। अक्टूबर के दूसरे हफ्ते तक सट्टा बाजार का पूरा रुख NDA की तरफ था वो तब NDA को 150 और अकेले भाजपा की 108 सीटों पर जीत आंक रहा था।
फेज के साथ साथ बदल रहा है गणित-
बिहार चुनाव में दो चरण के बाद सट्टा बाजार ने नीतीश और लालू के गठबंधन की 145 सीटों पर जीत का आंकलन किया था। लेकिन तीसरे चरण के बाद सट्टा बाजार ने भाजपा के वापसी की संभावनाएं भांपी। हालांकि सट्टा बाजार का यह भी कहना है कि तीसरे चरण में भाजपा की वापसी उतनी दमदार भी नहीं थी कि वो महागठबंधन की उम्मीद को पूरी तरह से धूमिल कर पाए। भाजपा के इतने प्रयास के बाद भी महागठबंधन मुश्किल से 130 के नीचे आ पाया।
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