नई दिल्ली: कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता मधुसूदन ने गुरुवार को कहा कि राज्यपाल वजुभाई वाला राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की अनुशंसा कर सकते हैं। राज्यपाल के सामने राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए सिर्फ राजनीतिक संकट हीं एक वजह नहीं है। विधानसभा को 31 जुलाई से पहले फाइनैंस बिल भी पास करना है वरना राज्य अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे सकेगी, पैसे निकाल नहीं सकेगी और न पेमेंट कर सकेगी।
इस तरह के हालात पहले किसी भी राज्य में नहीं हुए हैं। ऐसे में चीफ सेक्रटरी टीएम विजय भास्कर और अडिशनल चीफ सेक्रटरी (फाइनैंस) आईएसएन प्रसाद दूसरे उच्च अधिकारियों के साथ मिलकर समाधान निकालने में जुटे हैं। सूत्रों के मुताबिक विधानसभा को सस्पेंड रखकर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। इस दौरान राज्यपाल पैसे के खर्च पर फैसले कर सकेंगे। हालांकि, इसकी मंजूरी संसद से लेनी होगी।
कर्नाटक में कुमारस्वामी की सरकार गिरने के बाद भी बीजेपी सरकार बनाने की किसी तरह की जल्दबाजी से बचती दिख रही है। कर्नाटक बीजेपी के नेता बीएस येदियुरप्पा कल ही राज्यपाल वजूभाई वाला से मिलने वाले थे और सरकार बनाने के दावा पेश करने वाले थे लेकिन अचानक ही येदियुरप्पा के कार्यक्रम में बदलाव कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक ऐन वक्त पर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने इस प्लान को होल्ड पर डाल दिया। येदियुरप्पा का शपथ ग्रहण की तारीख से लेकर मंत्रिमंडल विस्तार तक की तारीख तय थी लेकिन इन सब को फिलहाल रोक दिया गया है। माना जा रहा है कि बीजेपी को बागी विधायकों पर स्पीकर और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है।
बागी विधायकों के डिसक्वालीफिकेशन का मामला स्पीकर के पास फैसले के लिए लंबित है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के बागी विधायकों की पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। बीजेपी चाहती है कि पहले स्पीकर और सुप्रीम कोर्ट के रूख का अंदाजा मिल जाए इसके बाद ही बात को आगे बढ़ाया जाए।
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