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सरकार ने भूमि विधेयक को संयुक्त समिति के पास भेजने का फैसला किया

नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र में भूमि अधिग्रहण विधेयक के पारित होने की संभावना नहीं दिखने के बाद सरकार ने सोमवार को इस विधेयक को संयुक्त समिति के पास भेजने का फैसला किया। वहीं,

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नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र में भूमि अधिग्रहण विधेयक के पारित होने की संभावना नहीं दिखने के बाद सरकार ने सोमवार को इस विधेयक को संयुक्त समिति के पास भेजने का फैसला किया।

वहीं, GST विधेयक को भी राज्यसभा की एक प्रवर समिति को भेजा जा सकता है। यह विधेयक मंगलवार को राज्यसभा की कार्यसूची में शामिल है। भूमि विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त समिति की अध्यक्षता के लिए भाजपा नेता एस एस अहलूवालिया के नाम की चर्चा है। परंतु इस बारे में अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

सूत्रों ने कहा कि सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक का अध्ययन करने के लिए 30 से अधिक सदस्यों की संयुक्त समिति के गठन के लिए लोकसभा में एक प्रस्ताव ला सकती है। इस प्रस्ताव को फिर समिति में नामों को मंजूर करने के लिए राज्यसभा में ले जाया जा सकता है।

साल 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून में प्रस्तावित संशोधनों के लिहाज से लाये गये विधेयक के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट दिखाई दे रहा है।

GST पर प्रवर समिति में 15 या 21 सदस्य हो सकते हैं। इस विधेयक पर केवल अन्नाद्रमुक ने विरोध की घोषणा की है, वहीं कांग्रेस इस बात पर जोर दे रही है कि राजग सरकार द्वारा लाये गये संशोधनों के अध्ययन के लिए विधेयक को प्रवर समिति को भेजा जाना चाहिए।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा राजग के कुछ सहयोगियों ने भूमि विधेयक के खिलाफ अपनी आपत्ति जाहिर की जिससे सरकार ने इस मुद्दे पर अधिक सहमति बनाने का रूख अपनाया। समझा जाता है कि मूल जीएसटी विधेयक को अपनी ही देन बताने वाली मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने सरकार को आश्वासन दिया है कि वह अगले सत्र में विधेयक को पारित कराने के लिहाज से इसका समर्थन करेगी।

नाम नहीं जाहिर होने की शर्त पर सरकार के एक उच्च सूत्र ने कहा कि सरकार चाहती है कि जीएसटी विधेयक को यथासंभव अधिक से अधिक आम-सहमति के साथ जल्द मंजूर कराया जाए। संविधान संशोधन विधेयक होने के नाते इसे दो तिहाई बहुमत से संसद के दोनों सदनों में पारित कराना होगा।

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