A
Hindi News भारत राजनीति गुलाम नबी आजाद ने कहा, सरकार पैदा कर रही है असहिष्णुता

गुलाम नबी आजाद ने कहा, सरकार पैदा कर रही है असहिष्णुता

नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कहा कि मोदी सरकार असहिष्णुता पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि असहिष्णुता ऊपर से शुरू होकर नीचे राज्यों तक जा रही है। राज्यसभा

सरकार पैदा कर रही है...- India TV Hindi सरकार पैदा कर रही है असहिष्णुता: आजाद

नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कहा कि मोदी सरकार असहिष्णुता पैदा कर रही है। उन्होंने कहा कि असहिष्णुता ऊपर से शुरू होकर नीचे राज्यों तक जा रही है।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, "आप भगवान गणेश का नाम लेते हैं, हम बिस्मिल्ला कहते हैं..जिसने प्रस्तावना को एक निश्चित शक्ल दी, जो संविधान के शुरू में आता है, आप उसी के योगदान को भूल गए। इसे असहिष्णुता कहते हैं।"

आजाद संविधान की प्रस्तावना को बनाने में पंडित जवाहर लाल नेहरू के योगदान की चर्चा कर रहे थे। आजाद ने कहा, "हमने एक बार भी पंडित नेहरू की बात नहीं की। यह कैसे संभव है कि हम संविधान के उद्देश्यों पर चर्चा करें और पंडित नेहरू का नाम न लें। नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल को एक-दूसरे से लड़ाया जा रहा है जबकि वे जीवित भी नहीं हैं। इसे असहिष्णुता कहते हैं। देश का बीते डेढ़ साल का माहौल संविधान के खिलाफ है। सरकार खुद ही असहिष्णुता पैदा कर रही है।"

आजाद ने कहा, "वे (भाजपा नेता) लोग इन नेताओं के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। स्वतंत्रता सेनानियों का नाम राजनैतिक लाभ के लिए लिया जा रहा है। वे लोग कांग्रेस की विरासत को हड़पना चाह रहे हैं। वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उनके पास कहने भर के लिए भी अपना कोई नेता नहीं है। यह सरकार की बांटो और राज करो की नीति है। लेकिन, वे कांग्रेस नेताओं को हथिया नहीं सकते। ये नेता देश के नेता हैं।"

जब सदन के नेता अरुण जेटली ने आजाद को टोकते हुए कहा, "इन लोगों को अंबेडकर से इतना द्वेष क्यों है?", तो जवाब में आजाद ने कहा, "आप अपने भाषण में जर्मन तानाशाह (हिटलर) का नाम ले सकते हैं और हम अपने देश के पहले प्रधानमंत्री का नाम नहीं ले सकते। यह असहिष्णुता है।"

26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने पर आजाद ने कहा कि सरकार 'इतिहास के पुनर्लेखन' में लगी हुई है। उन्होंने पूछा, "कहीं कोई ऐसा प्रस्ताव तो नहीं है कि गणतंत्र दिवस को 26 जनवरी से हटाकर 26 नवंबर कर दिया जाए? अगर ऐसा है तो सरकार हमें इस बारे में बता दे।"

26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की अधिसूचना समाज कल्याण मंत्रालय ने जारी की थी। आजाद ने कहा कि यह नियमों के हिसाब से गलत है। यह अधिसूचना गृह मंत्रालय को जारी करनी चाहिए थी। इसलिए यह अधिसूचना अवैध है।

Latest India News