सामना से उद्धव ने कसा दाउद पर व्यंग
नई दिल्ली: सामना के सम्पादकीय में उद्धव ठाकरे ने दाउद इब्राहीम पर मीडिया में चल चर्चा को लेकर सामना में कटाक्ष किया गया है। उन्होनें कहा है कि, जब कोई भी रिटायर्ड अधिकारी कोई किताब
नई दिल्ली: सामना के सम्पादकीय में उद्धव ठाकरे ने दाउद इब्राहीम पर मीडिया में चल चर्चा को लेकर सामना में कटाक्ष किया गया है। उन्होनें कहा है कि, जब कोई भी रिटायर्ड अधिकारी कोई किताब लिख देता है और उसमे दाऊद जिक्र होता है तो हमारे मीडिया के लोग उसे उसकी इतना चर्चा करते है की उसे सुनकर मन उबने लगता है।
उसमे यह बताया जाता है की हमरे अधिकारी हथकडिया लेकर पहुच गए थे और उसकी गिरफ्तारी होने वाली थी लेकिन किसी के दबाव में वो गिरफ्तार नहीं किया गया 25 साल से यही सूना जा रहा है। ये सब बहुत बेशर्मी के साथ चर्चा की जाती है
रामजेठ मालानी ने भी साधा निशाना:
इसी तरह रामजेठ मालानी ने कहा की दाऊद आने के लिए तैयार था लेकिन पवार और आद्वाने तैयार नहीं हुए क्योंकि उन्हें उनकी शर्ते मानी नहीं थी। जेठमलानी ने अपरोक्ष रूप से दोनों की मंशा पर सवाल भी उठाये।
पवार ने रामजेठ मालानी के आरोप पर दी सफाई:
लेकिन पवार ने सफाई दिया की दाउद जेल में रहने के बजाय घर में नजर बंद करने की मांग कर रहा था जो की मानी नहीं जा सकती थी। लेकिन दाऊद के बारे में आखिरी निर्णय केंद्र सरकार को लेना था खुद जेठमलानी कानून मंत्री थे उन्हें इस बात का ज्ञान तो होगा ही।
सामना में कहा गया कि पहले प्रकाशित हुआ की दाऊद की और से छोटा शकील मिला था लेकिन अब ये खुलासा हुआ की खुद दाऊद ने ये मेसेज दिया था और सम्पर्क किया था।
एक ललित मोदी किसी राजनेता से मिलता है अधिकारी से मिलता है तो दुसरे पार्टी के लोग उसके इस्तीफे तक की मांग करने पर लग जाते है लेकिन यही यदि कोई बड़ा राजनेता देशद्रोही दाऊद से मिलता है तो कोई उसकी चर्चा नहीं करता ना कोई इस्तीफा माँगता है।
जाहिर है उद्धव का ये लेख सुषमा और पुलिस कमिश्नर मारिया के बचाव में लिखा गया है।
एक समय था की गोपीनाथ मूंदे सरे आम कहते थे की दाऊद का सबंध शरद पवार से है वो विरोधी पार्टी के नेता थे। उस समय पवार मुख्यमंत्री थे लेकिन अब तो पुरे देश में बीजेपी की सरकार है सो दाऊद को घसीटते हुए लाया जाना चाहिए। उद्धव ने कहा यदि इच्छा शक्ती हो तो कोई मुश्किल काम नहीं है
अमेरिका के कमांडो लादेन के समर्पण की राह नहीं दख रहे वो पाक में घुसे और उसे ढेर कर दिया। अमेरिका उस से सौदेबाजी नहीं कर रहा था।
राम जेठमलानी को चाहिए था की वो दाऊद की उस शर्त को घर में कैद रखने वाली बात मानकर वापस लाते वो कानून के जानकार है कानून से कैसे लड़ाई लड़ी जाती है ये उन्हें उनकी कौशल से हासिल किया जाता लेकिन वो तो हुआ नहीं। उद्धव ने कहा ऐसे उबने वाले विषय को बंद कर देना चाहिए।
जब तक पाकिस्तान के गले पर पैर नहीं रखा जाएगा तब तक दाऊद को हिन्दुस्तान नहीं लाया जा सकता भगोड़ा व्यक्ति दुश्मन देश में आश्रय लेकर वहा से बिल में बैठकर फुफकारता है ये कोई भादुरी नहीं है।
देश और महारष्ट्र के गृहमंत्री को इस विषय में गंभीरता से लेना चाहिए नहीं तो इस विषय पर चर्चा अन्यथा इसे बंद कर देना चाहिए इस चर्चा से भी अपराधियों को फायदा मिलता है और उसकी हफ्ताखोरी का आंकड़ा बढ़ जाता है। इसलिए दाऊद के नाम की चर्चा और उबन बंद होना चाहिए।