Exclusive: जम्मू-कश्मीर में BJP-PDP गठबंधन टूटने के ये हैं 5 सबसे बड़े कारण
भाजपा द्वारा आज पीडीपी से समर्थन वापस ले लिए जाने के बाद जम्मू - कश्मीर में तीन साल पुरानी महबूबा मुफ्ती सरकार गिर गई। सरकार से भाजपा के समर्थन वापसी के बाद महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया
नई दिल्ली भाजपा द्वारा आज पीडीपी से समर्थन वापस ले लिए जाने के बाद जम्मू - कश्मीर में तीन साल पुरानी महबूबा मुफ्ती सरकार गिर गई। सरकार से भाजपा के समर्थन वापसी के बाद महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया , जिसके बाद राज्य में एक बार फिर राज्यपाल शासन लागू होना तय है। श्रीनगर में राज भवन के एक प्रवक्ता के मुताबिक , राज्यपाल एन एन वोहरा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय शासन लागू करने की सिफारिश की है। रिपोर्ट की एक प्रति केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी भेजी गई है।
जम्मू कश्मीर में महबूबा मुफ्ती की सरकार क्यों गिरी। बीजेपी ने पीडीपी से अलायंस क्यों तोडा इसकी एक्सक्लूसिव जानकारी इंडिया टीवी के पास है। इंडिया टीवी संवाददाता को मिली जानकारी के मुताबिक महबूबा मुफ्ती के आतंकियों के खिलाफ नरम रुख। उनके खिलाफ मिलिट्री ऑपरेशंस को इजाजत नहीं देना ही गठबंधन टूटने की बडी वजह बना है।
आतंकियों के खिलाफ महबूबा का नरम रुख
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आतंकवादियों के खिलाफ महबूबा का रुख नरम था। जानकारी के मुताबिक भारतीय सेना ने शहीद औरंगजेब को कत्ल करनेवाले आतंकियों के अड्डे का पता लगा लिया था। उन्हें आतंकियों के बारे में सटीक जानकारी मिली थी लेकिन इस काउंटर ऑपरेशन को लॉन्च करने के लिए महबूबा मुफ्ती ने आर्मी को इजाजत नहीं दी।
शुजात बुखारी की हत्या के बाद भी खामोश रहीं महबूबा
महबूबा मुफ्ती ने पत्रकार शुजात बुखारी के हत्यारों के खिलाफ भी ऑपरेशन की इजाजत नहीं दी थी। महबूबा ने कहा कि अगर एनकाउंटर होता है तो हालात काबू करने मुश्किल होंगे। बाद महबूबा मुफ्ती ने श्रीनगर में दहशतगर्दों को पकड़ने के लिए सर्च और डिस्ट्रॉय ऑपरेशन की इजाजत भी नहीं दी।
अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा नहीं बढ़ाना चाहती थीं महबूबा
सूत्रों से यह भी पता चला है कि महबूबा मुफ्ती अमरनाथ यात्रा के लिए एक्स्ट्रा सिक्योरिटी फोर्सेस के डिप्लॉयमेंट के फेवर में नहीं थी और वो भी ऐसे हालात में जब सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेसियों के पास अमरनाथ यात्रा को टारगेट किए जाने के स्ट्रॉन्ग इनपुट मौजूद थे। पूरे रूट पर आर्मी के जवानों के साथ CRPF के 20 और बटालियन को तैनात किया जाना था..लेकिन महबूबा ने इसके लिए क्लीयरेंस नहीं दी...इससे बात और बिगड़ गई।
आतंकियों के खिलाफ जानकारी साझा करना भी बंद किया
महबूबा मुफ्ती सरकार की तरफ से आतंकवादियों के खिलाफ आर्मी से इन्फॉर्मेशन शेयर होना भी बंद हो चुकी थी। आतंकियों के हाइडआउट्स को लेकर किसी तरह की जानकारी साझा नहीं की जा रही थी। इन सब बातों का नतीजा ये हुआ कि बीजेपी ने पीडीपी सरकार से खुद को अलग कर दिया।
राज्य में कानून व्यवस्था की लगातार गिरती स्थिति
एक मुख्यमंत्री के तौर पर महबूबा मुफ्ती राज्य में बिगड़ते हालात को संभालने में नाकाम रहीं जिससे भाजपा के लिए असहज स्थिति उत्पन्न हो गई थी। पिछले कुछ दिनों से राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति लगातार खराब हो रही थी।