नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को तेल कीमतों पर रुख को लेकर विपक्षी दलों पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और उनके 'अनिच्छुक सहयोगी' इस मुद्दे पर केवल ट्वीट करने व मीडिया में बयान देने में व्यस्त हैं। जब लोगों को राहत देने का समय आया तो यह सभी बगलें झांकने लगे। गैर भाजपा, गैर राजग राज्यों पर पाखंड का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि इनमें से ज्यादातर ने तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण राजस्व में हुई वृद्धि का कोई लाभ उपभोक्ताओं को नहीं दिया।
विपक्ष पर कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के राजनीतिक परिणामों से खुश होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि यह गंभीर समस्या कुछ राजनेताओं द्वारा ट्वीट या टीवी पर बाइट देने से समाप्त नहीं हो जाएगी। जेटली ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, "लोगों को क्या निष्कर्ष निकालना चाहिए? जब बात आम लोगों को राहत देने की आती है तो क्या राहुल गांधी और उनके अनिच्छुक सहयोगी केवल ट्वीट करने या टीवी पर बाइट देने के लिए ही प्रतिबद्ध हैं?"
जेटली ने दावा किया कि केंद्र राजस्व में वैट और 42 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल करने के बाद, राज्यों को कुल तेल कर का 60 से 70 प्रतिशत प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा, "क्या गैर भाजपा शासित राज्यों को लोगों के सामने आकर यह नहीं कहना चाहिए कि 2017 और 2018 दोनों वर्षो में उन्होंने ऊंचे राजस्वों में से लोगों को किसी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया?"
वित्त मंत्री ने कहा, "वे ट्वीट कर रहे हैं और टीवी पर बाइट दे रहे हैं लेकिन जब बात प्रदर्शन की आती है तो वह दूसरी ओर देखते हैं..यहां तक की राहुल गांधी, जिनकी पार्टी के नेतृत्व वाली संप्रग-2 सरकार के पिछले पांच वर्षो के दौरान भारत में मंहगाई दोहरे अंक तक चली गई थी, वह भी कीमतों में कमी की वकालत करते हुए टीवी पर बाइट और ट्वीट कर रहे हैं।" जेटली ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में बढ़ोतरी के देश की वित्तीय स्थिति पर अच्छे प्रभाव के मद्देनजर केंद्र ने तेल कंपनियों के साथ मिलकर पेट्रोल-डीजल पर ढाई रुपये प्रति लीटर की राहत दी। हमने सभी राज्यों से भी इतनी ही राहत देने के लिए कहा लेकिन अधिकांश गैर राजग शासित प्रदेशों की सरकारों ने ऐसा करने से इनकार कर दिया।
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