नई दिल्ली: कश्मीर मामले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने विवादित बयान देते हुए कहा है कि कश्मीर मसले के समाधान के लिए तीसरे पक्ष की मदद लें। अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा, दोनों देशों के बीच जारी विवाद को सुलझाने के लिए युद्ध नहीं बल्कि बातचीत का जरिया अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर के मुद्दे पर भारत को अमेरिका और चीन की मदद स्वीकार कर लेनी चाहिए। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
उन्होंने कहा, ‘आपको साहस के साथ मुसीबत का सामना करना होगा। युद्ध नहीं कर सकते, उनके पास भी एटम बम है और आपके पास भी है। यह रास्ता नहीं है, रास्ता बातचीत का है। दोस्तों को इस्तेमाल कीजिए बातचीत करने के लिए, हल करने के लिए।‘
अब्दुल्ला ने आगे कहा ट्रंप ने खुद कहा है कि मैं कश्मीर समस्या का समाधान चाहता हूं, हमने उनसे चर्चा नहीं की। चीन ने भी कहा कि वह कश्मीर में मध्यस्थता करना चाहता है। लेकिन भारत सरकार का इस मामले में रुख बिलकुल स्पष्ट रहा है। भारत कश्मीर मामले में भी किसी भी तीसरे पक्षकार की भागीदारी नहीं चाहता है।
वहीं अब्दुल्ला के इस बयान पर जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह का कहना है कि फारुख अब्दुल्ला के बयान की निंदा करता हूं। जब अब्दुल्ला मुख्यमंत्री तो कहते थे कि पाकिस्तान पर हमला करना चाहिए, आज ऐसे बयान दे रहे हैं। यह निचले स्तर की बात करते हैं।
निर्मल सिंह ने कहा कि क्या फारुख अब्दुल्ला भूल गए हैं, क्या 1994 का शिमला एग्रीमेंट है, इसके अलावा लाहौर का फैसला है। उसमें कहा गया है कि पाकिस्तान के साथ कैसे भारत को डील करना चाहिए। निर्मल सिंह का कहना कि खुद फाल्गुन दूल्हा इन सब बातों को करते थे जब वह जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे लेकिन आज वह बौखलाए हुए हैं।
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