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फर्जी खबर पर आदेश वापस लिया जाना लोकतंत्र, मीडिया की जीत: कांग्रेस

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कल कहा था कि अगर कोई पत्रकार फर्जी खबर गढ़ते या उसका प्रसार करते पाया गया तो उसकी मान्यता स्थायी तौर पर रद्द की जा सकती है...

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मुंबई: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने आज कहा कि केंद्र का फर्जी खबर पर प्रेस विज्ञप्ति जारी करने के 24 घंटे के भीतर उसे वापस लेना लोकतंत्र और मीडिया की जीत है। उन्होंने आरोप लगाया कि फर्जी खबर पर प्रेस विज्ञप्ति के जरिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने मीडिया की स्वायत्तता पर पाबंदी लगाने का प्रयास किया था।

महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विखे पाटिल ने कहा, ‘‘सरकार को 24 घंटे के भीतर इसे (प्रेस विज्ञप्ति) वापस लेना पड़ा और यह लोकतंत्र और मीडिया की बड़ी जीत है। मैं सभी पत्रकारों को बधाई देता हूं, जिन्होंने एकजुट होकर फैसले का विरोध किया।’’ उन्होंने मराठी में किए गए अपने ट्वीट में कहा, ‘‘फर्जी खबर के नाम पर सरकार ने मीडिया की स्वायत्तता पर पाबंदी लगाने की कोशिश की थी।’’

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कल कहा था कि अगर कोई पत्रकार फर्जी खबर गढ़ते या उसका प्रसार करते पाया गया तो उसकी मान्यता स्थायी तौर पर रद्द की जा सकती है। मंत्रालय ने कहा था, ‘‘एक बार फर्जी खबर के निर्धारण के लिये शिकायत दर्ज कर ली जाती है तो जिस पत्रकार ने भी उसे गढ़ा होगा या उसका प्रसार कर रहा होगा उसकी मान्यता फर्जी खबर के निर्धारण तक निलंबित कर दी जाएगी।’’

हालांकि, विज्ञप्ति में फर्जी खबर को परिभाषित नहीं किया गया था। फर्जी खबर क्या होगा इसपर फैसला करने की शक्ति प्रेस निकायों पर छोड़ दी गई थी। इस दिशा-निर्देश पर विपक्षी कांग्रेस और पत्रकारों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने आज सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को फर्जी खबर पर प्रेस विज्ञप्ति वापस लेने का आदेश दिया। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पीएमओ ने महसूस किया कि सरकार को मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। पीएमओ के आदेश के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फर्जी खबर का नियमन करने वाले अपने दिशा-निर्देश को वापस ले लिया। 

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