नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के हाथरस में दरिंदगी की शिकार लड़की की मौत के मामले को लेकर देशभर में आक्रोश है। प्रशासन ने पहले तो परिजनों की मर्जी के खिलाफ पीड़िता की आनन-फानन में रात में ही अंत्येष्टि कर दी और अब एसआईटी जांच के नाम पर पूरे गांव को किले में तब्दील कर दिया है। वहां न मीडिया को जाने दिया जा रहा है और न ही नेताओं को। इन सबको लेकर अब बीजेपी के अपने ही योगी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं।
बीजेपी की वरिष्ठ नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती और मौजूदा केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने पुलिस की 'संदेहपूर्ण कार्रवाई' पर सवाल उठाए हैं। उमा भारती ने लड़की की मौत के मामले में शासन-प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि अगर वो कोरोना पॉजिटिव न होतीं तो खुद हाथरस जाकर पीड़ित परिवार से मिलतीं। एम्स ऋषिकेश के कोरोना वार्ड में भर्ती उमा भारती ने शुक्रवार को इस घटना पर बयान जारी कर अपनी नाराजगी जाहिर की है।
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित करते हुए कहा, "आपको जानकारी होगी ही कि मैं कोरोना पॉजि़टिव होने से एम्स ऋषिकेश में कोरोना वार्ड में भर्ती हूं। मैंने हाथरस का समाचार सुना। पहले तो मुझे लगा की मै न बोलूं क्योंकि आप इस संबंध में ठीक ही कार्रवाई कर रहे होंगे। किन्तु जिस प्रकार से पुलिस ने गांव की एवं पीड़ित परिवार की घेराबंदी की है, उसके कितने भी तर्क हों, लेकिन इससे विभिन्न आशंकाएं जन्म लेती हैं।"
उमा भारती ने कहा, "वह एक दलित परिवार की बिटिया थी। बड़ी जल्दबाजी में पुलिस ने उसकी अंत्येष्ठि की और अब परिवार एवं गांव की पुलिस के द्वारा घेराबंदी कर दी गयी है। मेरी जानकारी में ऐसा कोई नियम नहीं है की एसआइटी जांच में परिवार किसी से मिल भी न पाए। इससे तो एसाईटी की जांच ही संदेह के दायरे में आ जाएगी।" उमा भारती ने कहा कि इस घटना से सरकार और पार्टी की छवि पर आंच आई है।
उमा भारती ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को साफ-सुथरी छवि का शासक बताते हुए अनुरोध किया कि पीड़ित परिवार से मीडियाकर्मियों और नेताओं को मिलने की अनुमति दें। उमा भारती ने खुद को बड़ी बहन बताते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि आग्रह है कि वे सुझावों को अमान्य न करें।
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