बजट सत्र में राम मंदिर पर अध्यादेश लाए मोदी सरकार: विश्व हिंदू परिषद
विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि विहिप इस महीने के अंत में प्रयागराज कुंभ में होने वाली 'धर्मसंसद' में राम मंदिर मुद्दे पर रणनीति तैयार करने के लिए साधु-संतों से वार्ता करेगी, ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से बेफिक्र विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने मंगलवार को कहा कि सरकार को संसद के आगामी बजट सत्र में अध्यादेश लाना चाहिए। मोदी ने एक बयान में कहा था कि सरकार अयोध्या में राम मंदिर के लिए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार करेगी। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि विहिप इस महीने के अंत में प्रयागराज कुंभ में होने वाली 'धर्मसंसद' में राम मंदिर मुद्दे पर रणनीति तैयार करने के लिए साधु-संतों से वार्ता करेगी, ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
कुमार ने कहा, "जब तक हमें सफलता नहीं मिल जाती, तब तक विहिप राम मंदिर की लड़ाई के लिए प्रतिबद्ध है। रणनीति और कार्यक्रम संतों द्वारा तैयार किए जाएंगे। हमने 31 जनवरी और एक फरवरी के बीच धर्मसंसद की एक सभा बुलाई है। इसमें तय किया जाएगा कि कैसे लड़ाई को आगे ले जाया जा सके।"
मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, "कानून बनाने के लिए हमारे पास उन्हें हमारी बात के लिए राजी करने का अधिकार है। उन्हें कानून पारित करना ही होगा और उनके पास ऐसा करने के लिए फरवरी का सत्र है। हम पूरी स्थिति को संतों के समक्ष रखेंगे और वे हमारे लिए कोई फैसला करेंगे।"
उन्होंने कहा कि सरकार तीन तलाक के लिए अध्यादेश लेकर आई थी, जो कि अच्छा था, लेकिन उन्हें राम मंदिर पर भी अध्यादेश लाना चाहिए, क्योंकि देश अनंत काल तक इसका इंतजार नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा, "पहले ही 69 साल बीत चुके हैं। अनंतकाल तक का इंतजार नहीं किया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई तक शुरू नहीं की है। इसलिए हम सरकार से कानून का वैकल्पिक तरीका निकालने को कह रहे हैं।"
विहिप अध्यक्ष ने कहा कि हिंदू 1990 के दशक की ही तरह मुद्दे से अभी भी भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। लेकिन उन्होंने सरकार के कानून लाने में विफल रहने पर आगामी लोकसभा चुनाव में राजनीतिक नतीजे पर बोलने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा, "पूरे देश में हमने सार्वजनिक सभाएं की, जिसमें असाधारण रूप से उत्साही प्रतिक्रिया देखने को मिली। हम आश्वस्त हैं कि मुद्दा आम हिंदू समाज के साथ गूंज रहा है। लेकिन इसका प्रभाव चुनाव पर पड़ेगा या नहीं, इसके बारे में मैं अनुमान नहीं लगा सकता।"
अगर भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले अपने चुनावी वादे को पूरा करने में विफल रहती है तो यह मुद्दा उत्तर प्रदेश में भाजपा को कितना प्रभावित कर सकता है? उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण राष्ट्रीय उत्थान का मुद्दा है और वह नहीं जानते कि यह चुनाव को प्रभावित करेगा या नहीं।
उन्होंने कहा, "केंद्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकारें हैं। इसलिए उन्हें राम मंदिर के निर्माण के लिए कदम उठाने चाहिए।" मुद्दे पर अदालत में बाधा उत्पन्न करने के लिए उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा। कुमार ने इसके लिए दो सबूतों का हवाला दिया और कांग्रेस पर मंदिर निर्माण में देरी के लिए न्यायापालिका पर दबाव बनाने का प्रयास करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, "संप्रग सरकार में कपिल सिब्बल मंत्री थे और वह कांग्रेस के एक कद्दावर नेता हैं। वह सर्वोच्च न्यायालय में सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पेश हुए और वह चाहते थे कि सुनवाई लोकसभा चुनाव तक स्थगित कर दी जाए। वह तुच्छ आधार पर प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लेकर आए। यह साबित करता है कि वह फैसले में देरी के लिए न्यायापालिका पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं।"
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मंदिर दौरों के सवाल पर कुमार ने कहा, "मुझे निश्चित रूप से उनके नए मंदिर प्रेम पर संदेह है। हमने दशकों तक ऐसा नहीं देखा। उन्होंने अचानक घोषणा की कि वह जनेऊ पहनते हैं। उसके बाद उनके प्रचार विभाग ने कैलाश मानसरोवर दौरे का प्रबंध किया। उसके बाद उन्होंने अपना गोत्र घोषित किया। ईमानदारी से कहूं तो मुझे नहीं पता कि उनका हृदय परिवर्तन हुआ है। लेकिन इसके इर्द-गिर्द प्रचार का निर्माण हुआ है और इससे मुझमें संदेह पनपा है।"