नयी दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के चुनावी फंडिंग ब्यौरे में विसंगतियों का विषय उठाते हुए चुनाव आयोग ने मंगलवार को इस पार्टी को उसके पारदर्शिता दिशानिर्देशों का पालन करने में पहली नजर में नाकाम रहने पर कार्रवाई के लिए चेताया। आयोग ने अपने कारण बताओ नोटिस में दावा किया कि हवाला आपरेटरों के जरिये लेनदेन को गलत तरीके से स्वैच्छिक दान के रूप में दिखाया गया। आयोग ने आप से नोटिस का जवाब 20 दिन में देने को कहा और कहा कि ऐसा नहीं करने पर उसके तथा केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के पास उपलब्ध जानकारी पर गुणदोष के आधार पर फैसला किया जाएगा।
चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश का नियम 16ए चुनाव आयोग को किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल की मान्यता निलंबित करने या वापस लेने की अनुमति देता है। आप दिल्ली में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है। नोटिस में कहा गया कि आप ने 30 सितंबर 2015 को वित्त वर्ष 2014-15 के लिए मूल दान रिपोर्ट सौंपी थी। बाद में पार्टी ने 20 मार्च 2017 को संशोधित रिपोर्ट दी। आयोग ने कहा कि वर्ष 2015 में सीबीडीटी प्रमुख के कार्यालय से वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान आप द्वारा प्राप्त दान छिपाने के संबंध में एक रिपोर्ट मिली थी।
वहीं आप ने आयोग द्वारा भेजे गए नोटिस को लेखांकन के मूल तरीकों की खराब व्याख्या बताया। इसके साथ ही पार्टी ने केंद्रीय एजेंसियों पर उसके खिलाफ पूर्वाग्रह रखने का आरोप लगाया। पार्टी ने इस मुद्दे पर एजेंसियों द्वारा संभावित उत्पीड़न की आशंका भी जतायी। पार्टी के कोषाध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य एनडी गुप्ता ने एक बयान में कहा कि यह नोटिस केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा लेखांकन के मूल तरीकों की खराब व्याख्या पर आधारित है। उन्होंने कहा कि आप ने वित्त वर्ष 2014-15 के लिए विभिन्न दाताओं से 37,60,62,631 रुपये का चंदा मिलने के संबंध में चुनाव आयोग को रिपोर्ट सौंपी थी।
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