शिवसेना विधायक सरनाईक के ‘सहयोगी’ आठ दिसंबर तक ED की हिरासत में भेजे गए
बंबई उच्च न्यायालय द्वारा हिरासत अवधि बढ़ाए जाने की एजेंसी की याचिका पर पुनर्विचार का निर्देश दिए जाने के बाद यह आदेश दिया गया।
मुंबई: एक विशेष अदालत ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक के कथित 'सहयोगी' अमित चंदोले की एक दिन की हिरासत प्रदान की। बंबई उच्च न्यायालय द्वारा हिरासत अवधि बढ़ाए जाने की एजेंसी की याचिका पर पुनर्विचार का निर्देश दिए जाने के बाद यह आदेश दिया गया। ईडी को आठ दिसंबर तक चंदोले की हिरासत प्रदान करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मिलिंद कुर्तादिकार ने निर्देश दिया कि आरोपी को नौ दिसंबर को अपराह्न तीन बजे विशेष पीएमएलए अदालत के समक्ष पेश किया जाए।
इससे पहले दिन में बंबई उच्च न्यायालय ने शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाईक के कथित सहयोगी अमित चंदोले की हिरासत अवधि बढ़ाने की प्रवर्तन निदेशालय की याचिका खारिज करने के सत्र न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया। चंदोले की गिरफ्तारी धनशोधन के एक मामले में हुई है। सरनाईक भी धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत इस मामले में आरोपी हैं।
एक सत्र अदालत ने 29 नवंबर को प्रवर्तन निदेशालय की चंदोले की हिरासत अवधि बढ़ाने की याचिका खारिज कर दी थी। चंदोले को 25 नवंबर को एजेंसी ने गिरफ्तार किया था। प्रवर्तन निदेशालय, सुरक्षा सेवा देने वाली एक निजी कंपनी और सरनाईक के बीच कथित लेन-देन में चंदोले की भूमिका की जांच कर रही है।
बंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण ने सोमवार को शहर की विशेष पीएमएलए अदालत को प्रवर्तन निदेशालय की चंदोले की हिरासत अवधि आगे बढ़ाने की याचिका पर पुनर्विचार करने और शाम तक इस संबंध में उचित आदेश देने के निर्देश दिए। न्यायमूर्ति चव्हाण ने इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को शाम तीन बजे विशेष अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया। चंदोले प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में थे और उन्हें 29 नवंबर को विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया गया था।
सत्र न्यायाधीश ने तब चंदोले को नौ दिसंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। चंदोले और सरनाईक पर एक सुरक्षा कंपनी 'टॉप्स सिक्यूरिटी ग्रुप' के पूर्व कर्मचारी रमेश अय्यर ने मामला दर्ज कराया था। अय्यर का आरोप था कि 2014 में मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) का कंपनी से 350 से 500 गार्ड लेने का करार था और सुरक्षा कंपनी ने सिर्फ 70 फीसदी ही गार्ड दिए और एमआरडीए द्वारा इस संबंध में भुगतान की गई राशि का कुछ हिस्सा आरोपी के निजी खातों में गया।