नई दिल्ली: इन दिनों बिहार एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। विजयादशमी के मौके पर एनडीए गठबंधन में पड़ी दरार साफ नजर आई। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में हर साल की तरह मुख्यमंत्री रावण दहन कार्यक्रम में शामिल हुए लेकिन इस बार नीतीश सरकार की सहयोगी बीजेपी का कोई भी नेता ना मंच पर नजर आया और ना गांधी मैदान में और तो और स्टेज पर मुख्यमंत्री की बगल वाली डिप्टी सीएम की कुर्सी भी खाली नजर आई जिससे राज्य में एनडीए में दरार पड़ने की अटकलें फिर से लगाई जाने लगी हैं।
मुख्यमंत्री के अलावा विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा इस दौरान मंच पर मौजूद थे। इस दौरान सभी की निगाहें मंच पर खाली सीटों पर रहीं। ऐसा माना जा रहा है कि इन सीटों पर उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद, पाटलीपुत्र से सांसद राम कृपाल यादव और राज्य में मंत्री नंद किशोर यादव को बैठना था।
ऐसा नहीं था कि बीजेपी नेताओं को न्योता नहीं भेजा गया था। तो फिर ऐसा क्या हुआ कि बीजेपी नेताओं ने इस कार्यक्रम से दूरी बना ली? आयोजक भी बीजेपी नेताओं के नहीं आने से हैरान नजर आए। गौरतलब है कि बिहार में बाढ़ को लेकर जब नीतीश सरकार की फजीहत हुई तो बीजेपी के कुछ नेताओं ने भी नीतीश सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए थे।
बीते दिनों केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तो इशारों-इशारों में सीएम नीतीश पर सवाल उठाए थे जिसके बाद जेडीयू ने भी पलटवार किया था। वहीं बीजेपी नेताओं की गैरमौजूदगी के बारे में पूछे जाने पर पार्टी की राज्य इकाई के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि समारोह में उनकी अनुपस्थिति को एनडीए सहयोगियों के बीच फूट के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
साफ है पटना की सड़कों से पानी तो निकल गया है लेकिन बिहार में बीजेपी-जेडीयू के बीच जुबानी जंग चल रही है। बीजेपी इसके लिए जेडीयू को जिम्मेदार ठहरा रही है तो जेडीयू अपने बचाव में बीजेपी पर हमला बोल रही है।
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