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डोकलाम विवाद का हुआ समाधान, चीन और भारत सेना हटाने पर सहमत

भारत और चीन डोकलाम से अपनी अपनी सेना हटाने पर राज़ी हो गए हैं। विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज़ के ज़रिये आज ये जानकारी दी। आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच पिछले दो महीने से डोकलाम में विवाद चल रहा था।

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भारत और चीन डोकलाम से अपनी अपनी सेना हटाने पर राज़ी हो गए हैं। विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस रिलीज़ के ज़रिये आज ये जानकारी दी। आपको बता दें कि भारत और चीन के बीच पिछले दो महीने से डोकलाम में विवाद चल रहा था। चीनी मीडिया ने भी इस बात की पुष्टि की है।

प्रेस रिलीज़ के अनुसार दोनों देश धीरे-धीरे अपनी सेनाएं हटाएंगे। इसे डोकलाम विवाद पर भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत बताया जा रहा है। ख़बरों के अनुसार डोकलाम विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच दो महीने से बातचीत चल रही है। अगले महीने चीन में ब्रिक्स सम्मेलन होने जा रहा है और इसमें प्रधानमंत्री नरेंद् मोदी भी हिस्सा लेंगे। मोदी 3 सितंबर को चीन की यात्रा पर जाएंगे।

​विदेश मंत्रालय के अनुसार चीन के साथ कूटनीतिक बातचीत जारी रहेगी। डोकलाम में 16 जून से पहले की स्थिति बहाल होगी। 

क्या है डोकलाम विवाद की जड़

भौगोलिक रूप से डोकलाम भारत चीन और भूटान बार्डर के तिराहे पर स्थित है जिसकी भारत के नाथुला पास से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी है। चुंबी घाटी में स्थित डोकलाम सामरिक दृष्टि से भारत और चीन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। साल 1988 और 1998 में चीन और भूटान के बीच समझौता हुआ था कि दोनों देश डोकलाम क्षेत्र में शांति बनाए रखने की दिशा में काम करेंगे।

साल 1949 में भारत और भूटान के बीच एक संधि हुई थी जिसमें तय हुआ था कि भारत अपने पड़ोसी देश भूटान की विदेश नीति और रक्षा मामलों का मार्गदर्शन करेगा। साल 2007 में इस मुद्दे पर एक नई दोस्ताना संधि हुई जिसमें भूटान के भारत से निर्देश लेने की जरूरत को खत्म कर दिया गया और यह वैकल्पिक हो गया।

तमाम विवादित मुद्दों पर इतिहास का हवाला देने वाला चीन डोकलाम मुद्दे पर भी कुछ ऐसा ही तर्क देता रहा है। चीन के अनुसार डोकलाम नाम का इस्तेमाल तिब्बती चरवाहे पुराने चारागाह के रूप में करते थे। चीन का ये भी दावा है कि डोकलाम में जाने के लिए 1960 से पहले तक भूटान के चरवाहे उसकी अनुमति लेकर ही जाते थे हालांकि एतिहासिक रूप से इसके कोई प्रमाण मौजूद नहीं हैं। असल में इस पूरे विवाद की जड़ ही दूसरी है, डोकलाम का इलाका भारत के लिए सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। भारत के सिक्किम, चीन और भूटान के तिराहे पर स्थित डोकलाम पर चीन हाइवे बनाने की कोशिश में है, जिसका भारतीय खेमा विरोध कर रहा है। उसकी बड़ी वजह ये है कि अगर डोकलाम तक चीन की सुगम आवाजाही हो गई तो फिर वह भारत को पूर्वोत्तहर राज्यों से जोड़ने वाली चिकन नेक तक अपनी पहुंच और आसान कर सकता है।

इस इलाके में भारतीय क्षेत्र में सेना ने सड़क निर्माण का काम शुरू कर दिया है, जो चीन के मंसूबों पर लगाम लगाने की भारत की बड़ी कवायद है। भारत की टेंशन ये है कि अगर चीन डोकलाम इलाके में अपना वर्चस्व साबित करने में कामयाब हो गया तो वो 'चिकन नेक' इलाके में बढ़त ले लेगा, जो भारत के लिए नुकसानदायक होगा।

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