नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट से अपनी वह अर्जी वापस ले ली है जिसमें उन्होंने खुद को अयोग्य ठहराने की चुनाव आयोग की सिफारिश पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी। ‘आप’ के विधायकों के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि उनकी याचिका अर्थहीन हो गई है, क्योंकि राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग की सिफारिश स्वीकार कर ली है और उन्हें अयोग्य करार देने की अधिसूचना जारी की जा चुकी है।
आप विधायकों के वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि वह लाभ के पद मामले में 20 विधायकों को अयोग्य ठहराने वाले राष्ट्रपति के आदेश का परीक्षण करने के बाद अपील दायर करेंगे।
इन विधायकों की सदस्यता हुई रद्द-
जिन विधायकों की सदस्यता रद्द हुई हैं उनमें द्वारका से आदर्श शास्त्री, चांदनी चौक से अलका लांबा, कालकाजी से अवतार सिंह, गांधी नगर से अनिल वाजपेई, कस्तूरबा नगर से मदनलाल नजफगढ़ से कैलाश गहलौत शामिल हैं।
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क्या है पूरा मामला?
आम आदमी पार्टी ने अपने 20 MLA को संसदीय सचिव बनाया था। संसदीय सचिव बनाने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। याचिका में संसदीय सचिव का पद लाभ का पद होने का तर्क था और आप के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की गई थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने विधायकों से 17 अक्टूबर तक जवाब मांगा था।
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