बजट के बाद बोले अशोक गहलोत- मेरा मुख्यमंत्री बनना बनता था इसलिए इस पद पर आसीन हुआ
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को कहा कि उनका राज्य का मुख्यमंत्री बनना बनता था, इसलिए वह इस पद पर आसीन हुए।
जयपुर: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को कहा कि उनका राज्य का मुख्यमंत्री बनना बनता था, इसलिए वह इस पद पर आसीन हुए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी सरकार का मुख्य उद्देश्य संवेदनशील और पारदर्शी प्रशासन देने का है।
राजस्थान विधानसभा में 2019-20 का बजट पेश करने के बाद गहलोत ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव के समय सभी गांवों में और ढाणियों में एक भावना थी कि अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बनना चाहिए और कोई नहीं बनना चाहिए। राहुल गांधी ने प्रदेश की जनता की भावनओं का आदर करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में मुझे अवसर दिया। इसलिए मेरा मुख्यमंत्री बनना बनता था। राहुल गांधी ने मौका दिया तो मेरा फर्ज बनता है कि लोगों के लिए काम करूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जनता का ऐसा प्यार कभी नहीं देखा, उनकी आंकाक्षाएं मेरे जेहन में हैं। इसलिए मेरा मुख्यमंत्री बनना बनता था और मैं मुख्यमंत्री बना।’’ गहलोत ने कहा कि उनकी सरकार का मुख्य उद्देश्य संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेही प्रशासन देने का है। सरकार जवाबदेही कानून लेकर आएगी। उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में गुड गवर्नेंस के लिए ई गर्वर्नेंस भी जरूरी है और ऐसे कानून हों जिससे बाध्य होकर हम जनता की समस्या को सुन सकें। राज्य के बजट में महिलाएं, युवा और किसान हमारी प्राथमिकता हैं। कानून व्यवस्था की स्थिति हमारे जेहन में है। मेरी सरकार की मूल भावना कानून व्यवस्था की स्थिति को मजबूत बनाने की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान की नौकरशाही अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत बेहतर है। ‘‘कुछ इक्का-दुक्का लोगों को छोड़ दें तो सबका काम अच्छा है, जो अधिकारी घड़ी देखकर काम करते हैं, वे मेरे ध्यान में है।’’ गहलोत ने कहा कि कानून व्यवस्था को मजबूत बनाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने पुलिस महानिदेशक को कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए पूरी छूट दी है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पुलिस प्रशासन से कहा है कि उसे किसी की भी सिफारिश को मानने की जरूरत नहीं है। अगर कोई किसी दुष्कर्मी, अपराधी या माफिया की गलत सिफारिश करता है तो उसे सरकार बख्शेगी नहीं।’’
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष दिसम्बर में राज्य में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद अशोक गहलोत और सचिन पायलट मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे। दिल्ली में कई दिनों तक चले मंथन के बाद कांग्रेस पार्टी ने अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री और पायलट को उपमुख्यमंत्री बनाया था।