नई दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने पश्चिम बंगाल में CBI की कार्रवाई के मामले में उच्चतम न्यायालय के अंतरिम आदेश का स्वागत करते हुये कहा है कि इससे स्पष्ट हो गया है कि चिटफंड घोटाला मामले की जांच को भटकाने के लिये राज्य की ममता बनर्जी सरकार वही काम कर रही है जो राफेल मामले में केन्द्र की मोदी सरकार कर रही है।
माकपा (CPI) के महासचिव सीताराम येचुरी और लोकसभा में पार्टी के नेता मोहम्मद सलीम ने मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश से स्पष्ट है कि ममता सरकार इस मामले के आरोपियों को बचाने के लिये जांच को भटका रही है। बनर्जी द्वारा अदालत के आदेश को अपनी नैतिक जीत बताये जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये येचुरी ने कहा कि न्यायालय ने राज्य सरकार और कोलकाता के पुलिस आयुक्त को अदालत की अवमानना का नोटिस देने और जांच में CBI का सहयोग करने का आदेश दिया है। यह राज्य सरकार के गाल पर करारा तमाचा है।
येचुरी ने चिटफंड मामले में माकपा नेताओं को गलत तरीके से फंसाये जाने का ममता बनर्जी सरकार पर आरोप लगाते हुये कहा कि सीबीआई इस मामले की जांच अदालत के आदेश पर कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य सरकार को संघीय व्यवस्था का सम्मान करते हुये जांच एजेंसियों के काम में बाधक नहीं बनना चाहिये।
उन्होंने कहा कि अदालत ने 2014 में सीबीआई को चिटफंड मामले की जांच करने को कहा था लेकिन पांच साल के विलंब के बाद सीबीआई सक्रिय हुयी है। येचुरी ने केन्द्र सरकार पर सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुये कहा कि इस मामले में देरी के लिये मोदी सरकार जिम्मेदार है। सलीम ने बनर्जी के आंदोलन को ‘राजनीतिक ड्रामा (प्रहसन)’ करार देते हुये कहा कि रविवार को कोलकाता में माकपा की विशाल रैली से घबरा कर बनर्जी ने ‘मीडिया कवरेज’ पाने के लिये धरना शुरू कर दिया।
सलीम ने कहा कि चिटफंड मामले में आरोपी बनाये गये तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने अब भाजपा का दामन थाम लिया है इससे साफ है कि दोनों दल मिलकर इस मामले के आरोपियों को बचाने के लिये जांच को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने कहा ‘‘इस मामले में मोदी और ममता सरकार मिलकर ‘चोर-सिपाही’ का खेल खेल रही है।
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