तेजस्वी यादव ने की ट्रेन से बिहार के लोगों को बुलाये जाने की मांग
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बढ़ाए गए लॉकडाउन के बाद दिहाड़ी मजदूरों और गरीबों की समस्याओं को लेकर बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर सवाल उठाए हैं।
पटना: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए बढ़ाए गए लॉकडाउन के बाद दिहाड़ी मजदूरों और गरीबों की समस्याओं को लेकर बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने सरकार पर सवाल उठाए हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी ने बुधवार को गरीबों की मदद के लिए आगे नहीं आने वालों पर निशाना साधा। उन्होंने बुधवार को कहा कि जब उतराखंड में फँसे हज़ारों गुजरातियों को डीलक्स बस में विशेष इंतज़ाम करके अहमदाबाद ले जाया जा सकता है तो ग़रीब बिहारियों को 21 दिनों बाद भी साधारण ट्रेन से वापस क्यों नहीं लाया जा सकता?
उन्होंने ट्वीट किया, "आदरणीय नीतीश जी, आप वरिष्ठ नेता है। जब उतराखंड में फँसे हज़ारों गुजरातियों को डीलक्स बस में विशेष इंतज़ाम करके अहमदाबाद ले जाया जा सकता है तो ग़रीब बिहारियों को 21 दिनों बाद भी साधारण ट्रेन से वापस क्यों नहीं लाया जा सकता?कृपया केंद्र से बात कर ग़रीबों के लिए कोई रास्ता निकालिए।"
उन्होंने बुधवार को यह भी कहा कि यह बीमारी लेकर आए हवाई जहाज वाले और भुगतना पड़ रहा है पैदल चलने वालों को। उन्होंने ट्वीट किया, "यह बीमारी लेकर आए हवाई जहाज वाले और भुगते पैदल चलने वाले, कोरोना लेकर आए पासपोर्ट वाले और कीमत अदा करे बीपीएल राशनकार्ड वाले। अमीरों की शानो-शौकत और बीमारी का हर्जाना बेचारे करोड़ों गरीब लोग भुगत रहे हैं। गरीबों की मदद के लिए क्यों नहीं वो अब आगे आ रहे है?"
तेजस्वी ने सरकार द्वारा दी जा रही सहायता को कम बताते हुए एक अन्य ट्वीट में लिखा, "सरकारें सोचतीं है कि वो गरीबों के खाते में महज 500 रुपये डालकर और उन्हें मुट्ठीभर दाल-चावल का लालच देकर बहला लेंगी। मैं सरकारों से प्रार्थना कर रहा हूं कि कोरोना से कोई मरे ना मरे लेकिन करोड़ों गरीब लोगों को घर भेज, महीनों के राशन का इंतजाम करे अन्यथा वो भूख से जरूर मर जाएंगे।"
इससे पहले तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था कि बिहार में कोविड-19 के संबंध में हुई जांच की संख्या बहुत कम है, स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचा चरमराया हुआ है और चिकित्सकीय सामग्री की खरीद बेहद धीमी है। उन्होंने राज्य सरकार पर बिहार के प्रवासी मजदूरों को नजरअंदाज करने और उनके प्रति उदासीनता दिखाने का भी आरोप लगाया। इनमें से कई प्रवासी मजदूर कोविड-19 संक्रमण के कारण अन्य राज्यों से पैदल चलकर अपने घर लौटे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूहों ने कानून का उल्लंघन किया है तो उन्हें सजा दी जानी है, भले ही वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों- भले ही वह निजामुद्दीन में तबलीगी जमात का कार्यक्रम हो, दिल्ली में मजनू का टीला गुरुद्वारा में फंसे श्रद्धालु हों, कांग्रेस सरकार गिरने के बाद मध्य प्रदेश में जश्न मना रहे भाजपा कार्यकर्ता हों, राम नवमी पर पूजा कर रहे श्रद्धालु हों या कर्नाटक में विधायक का जन्मदिन समारोह हो।’’
उन्होंने मीलों पैदल चलकर आए बिहार के हजारों प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए आगे नहीं आने को लेकर सरकार की आलोचना की और कहा कि जब प्रवासी श्रमिकों को मदद की आवश्यकता थी तब नीतीश सरकार कहीं दिखाई नहीं दी। उन्होंने आरोप लगाया कि ग्रामीण स्तर पर पंचायत भवनों, स्कूलों या सामुदायिक केंद्रों जैसे पृथक-वास केंद्रों में कोई सुविधा नहीं है।