नयी दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कोरोना संकट के खिलाफ लड़ाई में संसाधनों की उपलब्धता पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग से ही इस लड़ाई में कामयाबी मिलेगी। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला के मुताबिक कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई बैठक में मनमोहन ने कहा कि लॉकडाउन की सफलता को आखिरकार कोविड-19 से निपटने की हमारी क्षमता से परखा जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग कोरोना संकट के खिलाफ लड़ाई में हमारी सफलता की कुंजी है।’’ सिंह ने कहा कि इस लड़ाई में कई मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई बहुत हद तक संसाधनों की उपलब्धता पर निर्भर करती है। बैठक में कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र से वित्तीय सहयोग की जरूरत पर जोर दिया।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि अभी केंद्र की ओर से उनके राज्य के लिए जीएसटी का 4400 करोड़ रुपये का बकाया जारी नहीं किया गया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अगर केंद्र सरकार राज्यों की वित्तीय मदद नहीं करती है तो कोरोना के खिलाफ लड़ाई कमजोर हो जाएगी। उन्होंने केंद्र से बड़े वित्तीय पैकेज की मांग की।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों और विद्यार्थियों को उनके घर भेजने के लिए केंद्र को नीति बनाने की जरूरत है। लेकिन केंद्र सरकर इस मुद्दे पर चुप है। उन्होंने भी केंद्र से वित्तीय सहयोग की मांग की। पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि केंद्र की ओर से उनके इस केंद्रशासित प्रदेश को जीएसटी का 600 करोड़ रुपये का बकाया नहीं मिला है।
वहीं कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने कहा कि देश में पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग नहीं हो पा रही है और जो टेस्टिंग किट्स राज्यों को दी गई हैं उनकी क्वालिटी भी बेहद खराब है। दिल्ली में कॉग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने लॉकडाउन के दौरान बेरोजगारी बढ़ने पर भी चिंता जताई। कांग्रेस अध्यक्षा के अनुसार लॉकडाउन के पहले फेज के दौरान ही देश में 12 करोड़ लोग बेरोजगार हो गए हैं।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कांग्रेस वर्किंग कमेटी को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि तीन हफ्ते पहले हुई वर्किंग कमेटी की बैठक से लेकर आज तक देश में कोरोना वायरस के प्रसार और रफ्तार दोनों में तेजी आ गई है। इस दौरान विशेष रूप से देश के किसान, खेत मजदूर, प्रवासी मजदूरों, निर्माण श्रमिकों और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की हालात बद से बदतर हो गई है।
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