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Hindi News भारत राजनीति सज्जन कुमार को सजा होने पर बचाव मुद्रा में आई कांग्रेस, कपिल सिब्बल समेत अन्य नेताओं ने दिए ये बयान

सज्जन कुमार को सजा होने पर बचाव मुद्रा में आई कांग्रेस, कपिल सिब्बल समेत अन्य नेताओं ने दिए ये बयान

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को हत्या की साजिश रचने के मामले में दोषी करार देते हुए सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई

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नई दिल्ली। कांग्रेस नेताओं ने सोमवार को कहा कि 1984 के सिख विरोधी दंगा मामलों में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सज्जन कुमार की सजा का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और कानून को अपना काम करने देना चाहिए।  दिल्ली उच्च न्यायालय ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को हत्या की साजिश रचने के मामले में दोषी करार देते हुए सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई । 

न्यायमूर्ति एस मुरलीधर एवं न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कुमार को आपराधिक साजिश, शत्रुता भड़काने और सांप्रदायिक सद्भाव के खिलाफ काम करने का दोषी पाया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि कुमार के पास पार्टी में कोई पद नहीं था। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि यह अदालत का फैसला है ।’’ 

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘‘देश में जो राजनीतिक वातावरण है, उससे इसे नहीं जोड़ा जाना चाहिए । कानून को अपना काम करने देना चाहिए । इसमें अपील भी है ।’’ उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि इस संबंध में अतीत में भी फैसले हुए हैं और उनमें जहां लोगों को दोषी पाया गया है, वहीं अन्य को दोषमुक्त करार दिया गया है । सिंघवी ने कहा, ‘‘इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए और इससे राजनीतिक फायदे के बारे में नहीं सोचना चाहिए । 

पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील कुमार जाखड़ ने कहा कि पार्टी इस बात को लेकर स्पष्ट है कि दंगों में शामिल रहने वालों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए। संसद के बाहर कांग्रेस सांसद ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हां न्याय मिलने में देरी हुई लेकिन अंतत: न्याय मिला। कानून से ऊपर कोई नहीं है। इस तरह के जघन्य अपराध में जो भी शामिल हों, उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।’’ 

हालांकि, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनके सिख अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद सिख विरोधी दंगे शुरू हो गए थे। 

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