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Hindi News भारत राजनीति कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, '1994 में हम एक टीम तरह खेले थे और वाजपेयी हमारे कप्तान थे'

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, '1994 में हम एक टीम तरह खेले थे और वाजपेयी हमारे कप्तान थे'

सलमान खुर्शीद ने कहा, वाजपेयी जी जिस समावेशी विचार और एक दूसरे का सम्मान करने वाली राजनीति करते थे वो एक और युग था। आज का युग अलग है।

<p>अटल बिहारी वाजपेयी...- India TV Hindi अटल बिहारी वाजपेयी और सलमान खुर्शीद

नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा है कि आज के नेताओं को दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से सबसे महत्वपूर्ण बात यह सीखनी चाहिए कि उदार सोच क्या होती है। करीब 25 वर्ष पहले संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर पर भारत का पक्ष रखने वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल में वाजपेयी के साथ शामिल रहे खुर्शीद ने कहा कि वाजपेयी के जाने से समावेशी विचार और एक दूसरे के सम्मान वाली राजनीति के युग का अंत हो गया है।

खुर्शीद ने कहा, ‘‘वाजपेयी जी जिस समावेशी विचार और एक दूसरे का सम्मान करने वाली राजनीति करते थे वो एक और युग था। आज का युग अलग है। उनके जाने से उस युग का अंत हो गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज के नेता उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं। नेता को कैसा होना चाहिए, उदार सोच क्या होती है, देश की वास्तविक जरूरत क्या होती है, उनसे सीखना चाहिए।’’

दरअसल, 27 फरवरी 1994 को पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में इस्लामी देशों समूह ओआईसी के जरिए प्रस्ताव रखा। उसने कश्मीर में हो रहे कथित मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर भारत की निंदा की। संकट यह था कि अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता तो भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कड़े आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता। इन हालात में भारत सरकार की तरफ से वाजपेयी ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल का बखूबी नेतृत्व किया और पाकिस्तान को विफलता हाथ लगी।

उस प्रतिनिधिमंडल में वाजपेयी के साथ काम करने के अपने अनुभव को साझा करते हुए खुर्शीद ने कहा, ‘‘उनके साथ काम करके ऐसा नहीं लगा कि वह वरिष्ठ हैं। हम एक टीम तरह खेले थे। वह हमारे कप्तान थे। उन्होंने कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि वह हम सबसे वरिष्ठ हैं।’’

गौरतलब है कि नरसिंह राव सरकार और वाजपेयी के प्रयासों का नतीजा रहा कि प्रस्ताव पर मतदान वाले दिन जिन देशों के पाकिस्तान के समर्थन में रहने की उम्मीद थी उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिए। बाद में पाकिस्तान ने प्रस्ताव वापस ले लिया और भारत की जीत हुई।

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