मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल करने के बावजूद मुख्यमंत्री पद को लेकर भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना के बीच खींचतान चल रही है। चुनावों के नतीजे आए एक सप्ताह से भी ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन दोनों पार्टियां अभी तक अपने मुद्दों को सुलझा नहीं पाई हैं। इन दोनों की लड़ाई के बीच अब एक तीसरा पक्ष भी अंगड़ाई लेता हुआ दिख रहा है। इसी कड़ी में कांग्रेस के सांसद हुसैन दलवई ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर शिवसेना को समर्थन देने की मांग की है।
दलवई की चिट्ठी से सूबे की सियासत में एक नया मोड़ आ गया है। आपको बता दें कि इससे पहले शिवसेना सांसद संजय राउत ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी। उनकी मुलाकात के बाद से ही प्रदेश में नए समीकरणों की चर्चा है। राज्यसभा सांसद दलवई ने सोनिया को अपनी चिट्ठी में लिखा है कि उनकी पार्टी को सरकार बनाने में शिवसेना का समर्थन करना चाहिए क्योंकि उद्धव ठाकरे की पार्टी ने भी कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिभा पाटील और प्रणव मुखर्जी को राष्ट्रपति बनाने में समर्थन दिया था।
आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं था जब कांग्रेस ने शिवसेना का समर्थन किया हो। इससे पहले 1980 के लोकसभा चुनावों में खुद बालासाहब ठाकरे ने कांग्रेस की नेता इंदिरा गांधी के समर्थन में चुनाव मैदान से बाहर रहने का फैसला किया था। उन चुनावों में इंदिरा गांधी ने जीत दर्ज की थी और उनके हाथों में एक बार फिर देश की सत्ता की बागडोर आई थी। इन्हीं सारी चीजों को देखते हुए अब यह कयास लगने लगे हैं कि क्या इस बार महाराष्ट्र की सियासत में शिवसेना+कांग्रेस+एनसीपी की सरकार देखने को मिल सकती है?
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि अभी भी सूबे में बीजेपी और शिवसेना की ही सरकार बनने की संभावना सबसे ज्यादा है। उनका कहना है कि शिवसेना अभी बीजेपी पर दबाव बना रही है ताकि उसे सरकार में ताकतवर मंत्रालय मिल सकें। हालांकि देखा जाए तो बीजेपी और शिवसेना के बीच यह खींचतान कुछ ज्यादा ही लंबी खिंचती चली जा रही है, और यही वजह है कि तीसरा पक्ष भी सक्रिय होने लगा है।
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