नयी दिल्ली: कांग्रेस पर रक्षा बलों, न्यायपालिका और रिजर्व बैंक के खिलाफ ‘फर्जी अभियान’ चलाने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने रविवार को कहा कि देश एवं इसकी संस्थाओं को ‘संस्था बर्बाद करने वालों’ से बचाने का समय आ गया है। मंत्री ने फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि कांग्रेस नीत सरकारें रिजर्व बैंक, न्यायपालिका और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जैसी संस्थाओं में हस्तक्षेप करती रही थीं। अमेरिका से इलाज करवा के शनिवार को लौटे जेटली ने कहा, ‘‘समय आ गया है कि भारत और इसकी संस्थाओं को ‘संस्था तोड़ने वालों’ से बचाया जाए।’’
जेटली ने ‘संस्थाओं पर हमले -- नवीनतम झूठ’ शीर्षक से लिखी पोस्ट में कहा कि पिछले दो महीने में कई ‘‘फर्जी अभियान’’ चले जिनको ज्यादा तवज्जो नहीं मिली क्योंकि झूठ ज्यादा समय तक नहीं टिकता। उन्होंने कहा कि लगातार एक के बाद एक झूठा प्रचार अभियान चला। जेटली ने कहा कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र गंभीर खतरे में है। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा के नेता वहां नहीं जा सकते, रैलियों को रोका जा रहा है और रथ यात्राओं को अनुमति नहीं दी जा रही है। अनेक मुद्दों पर कांग्रेस का रूख विरोधाभासी है। वह केरल में कैमरे के सामने गाय का कत्ल करती है और मध्यप्रदेश में गोहत्या करने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगाती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वे लोकतंत्र के लिए घड़ियाली आंसू बहाते हैं और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को वंशवादी तंत्र में बदलने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।’’ जेटली ने कहा, ‘‘हाल में छत्तीसगढ़ चुनावों में कांग्रेस ने माओवादियों के साथ गठबंधन किया। राहल गांधी जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में ‘टुकड़े टुकड़े’ गिरोह के साथ खड़े रहे। अदालत में शहरी नक्सलियों की रक्षा में कांग्रेस मजबूती से खड़ी रही। फिर भी यह भारत और इसकी संस्थाओं का हितैषी होने का दावा करती है।’’
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर संसद की कार्यवाही में बाधा डालने का अरोप लगाते हुए जेटली ने कहा कि राफेल पर उनके दो भाषण प्रधानमंत्री के प्रति उनकी निजी नफरत पर आधारित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इतिहास में यह बात दर्ज होगी कि पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रपौत्र ने भारत की संसद को अकेले इतना नुकसान पहुंचाया है जितना किसी और ने नहीं पहुंचाया।’’ मंत्री ने कहा कि कांग्रेस रोजाना सुबह 11 बजे संसद के दोनों सदनों को बाधित करने का प्रयास करती है। राफेल पर जेटली ने कहा कि सौदे से न केवल भारतीय वायु सेना की क्षमता मजबूत होगी बल्कि राजस्व के हजारों करोड़ रुपये की बचत होगी।
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