कर्नाटक: गुरुवार को कुमारस्वामी की अग्नि परीक्षा, साबित करना होगा बहुमत?
भाजपा ने कहा कि गठबंधन के 16 विधायकों के विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफे देने के बाद सरकार ‘‘अल्पमत’’ में है और इसलिए विश्वास मत तक सदन की कार्यवाही चलने का विरोध किया गया।
बेंगलुरु/नई दिल्ली/मुंबई। कर्नाटक की कांग्रेस-जनता दल (एस) गठबंधन सरकार 18 जुलाई को विधानसभा में शक्ति परीक्षण का सामना करेगी। सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ विधायकों के इस्तीफे के बाद संकट का सामना कर रही एच डी कुमारस्वामी सरकार के बागी विधायकों को वापस अपने खेमे में लाने के प्रयासों के बीच विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने सोमवार को घोषणा की कि कुमारस्वामी की ओर से लाये गए विश्वासमत के प्रस्ताव पर 18 जुलाई को सदन में विचार किया जाएगा।
कुमार ने विधानसभा में बताया कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक के दौरान विपक्ष और सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं के साथ विचार-विमर्श के बाद यह तारीख तय की गयी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एवं सदन के नेता कुमारस्वामी की ओर से लाए गए विश्वास मत के प्रस्ताव पर पूर्वाह्र 11 बजे से सदन में विचार किया जाएगा।
भाजपा ने कहा कि गठबंधन के 16 विधायकों के विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफे देने के बाद सरकार ‘‘अल्पमत’’ में है और इसलिए विश्वास मत तक सदन की कार्यवाही चलने का विरोध किया गया। कुमारस्वामी ने विश्वास व्यक्त किया कि उनकी सरकार इस संकट से बाहर निकल जायेगी। उन्होंने एक सवाल के जवाब में पत्रकारों से कहा, ‘‘मुझे पूरा भरोसा है ... आप चिंता क्यों करते हैं।’’
कांग्रेस के वरिष्ठ विधायकों ने कहा कि बागी विधायकों को मनाने के अपने प्रयासों के लिए उन्हें और समय मिल गया है। अध्यक्ष और सरकार पर दबाव बनाये रखने के लिए भाजपा ने 13 महीने पुरानी कुमारस्वामी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग की। इसके लिए जे सी मधु स्वामी, के जी बोपैया और सी एम उदासी ने एक नोटिस भेजा लेकिन बाद में वे विश्वास मत के लिए सहमत हो गये।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने कर्नाटक में कांग्रेस के पांच और बागी विधायकों की याचिका पर पहले से लंबित 10 विधायकों की याचिका के साथ ही सुनवाई करने पर सोमवार को सहमति देते हुये कहा कि सारे मामले में मंगलवार को सुनवाई की जायेगी। ये बागी विधायक चाहते हैं कि कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष को उनके इस्तीफे स्वीकार करने का निर्देश दिया जाये।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इन बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के इस आग्रह पर विचार किया कि इन्हें भी पहले से लंबित उस याचिका में पक्षकार बना लिया जाये जिस पर मंगलवार को सुनवाई होनी है।
शीर्ष अदालत ने 12 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार को कांग्रेस और जद (एस) के बागी विधायकों के इस्तीफे और उन्हें अयोग्य घोषित करने के लिये दायर याचिका पर 16 जुलाई तक कोई भी निर्णय लेने से रोक दिया था।
कांग्रेस के 13 विधायकों और जद (एस) के तीन विधायकों ने छह जुलाई को इस्तीफा दे दिया था जबकि दो निर्दलीय विधायकों एस शंकर और एच नागेश ने गठबंधन सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। मुंबई के पुलिस प्रमुख को लिखे पत्र में बागी विधायकों ने कहा, “मल्लिकार्जुन खड़गे या गुलाम नबी आजाद या कांग्रेस के किसी भी नेता से मिलने की उनकी इच्छा नहीं है।’’
विधायकों ने पत्र में कहा है कि उन्हें खतरा महसूस हो रहा है। उन्होंने पुलिस से आग्रह किया है कि कांग्रेस नेताओं को उनसे मिलने से रोका जाए। कर्नाटक के 15 बागी विधायक होटल में ठहरे हुए है। इन बागी विधायकों में कांग्रेस, जद (एस) के विधायकों अलावा निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं।
इस बीच घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा नेता बी एस येदियुरप्पा ने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव लाये जाने की मांग की थी लेकिन सरकार ने विश्वास प्रस्ताव के लिए तिथि तय करने का निर्णय लिया।
इससे पहले कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धरमैया ने कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर बृहस्पतिवार को चर्चा कराये जाने का निर्णय किया गया है। सत्तारूढ़ गठबंधन की कुल संख्या अध्यक्ष के अलावा 116 (कांग्रेस-78, जद(एस)-37 और बसपा-एक) है। दो निर्दलीय के समर्थन के साथ 224 सदस्यीय सदन में भाजपा के 107 विधायक हैं। बहुमत का आंकड़ा 113 है। यदि 16 विधायकों के इस्तीफ मंजूर हो जाते है तो गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 100 हो जायेगी।