मुंबई: देश के सबसे अमीर निकाय बीएमसी चुनावों में स्पष्ट बहुमत ना मिलने के बाद महाराष्ट्र कांग्रेस में इस बात के पक्ष में आवाजें उठ रही है कि उसे बीएमसी में शिवसेना को उसके उम्मीदवार को महापौर बनाने में मदद करने के विकल्प पर विचार करना चाहिये। 227 सदस्यीय सदन में केवल 31 सीटें पाने वाली कांग्रेस के अभी किसी निर्णय पर पहुंचने की संभावना नहीं है। वह पांच राज्यों के अहम चुनावों के समाप्त होने का इंतजार कर रही है।
बृहस्पतिवार को हुये मतदान के बाद शिवसेना बीएमसी में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। उसके पास 87 पार्षद है और निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले पार्टी के तीन बागी पार्षद भी कल उसके खेमे में शामिल हो गये। इससे बीएमसी में शासन के लिए जररी 114 सीटों का जादुई आंकड़ा छूने के उद्धव ठाकरे के प्रयासों को थोड़ा बल मिला है। वह लगातार यह कहते रहे हैं कि बीएमसी में शिवसेना का ही मेयर बनेगा। कांग्रेस के एक प्रदेश पदाधिकारी ने कहा, पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि भाजपा के मुकाबले शिवसेना कम बुरी है।
बहरहाल, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों का परिणाम आने तक कांग्रेस इस बार में सार्वजनिक चर्चा या बयान देने से बचेगी। पार्टी शिवसेना का साथ देने के कदम के राजनीतिक निहितार्थों पर विचार कर रही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि पार्टी ने अभी इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया है जबकि एमपीसीसी प्रमुख अशोक चह्वाण इस बारे में कोई बयान देने से बचते नजर आये।
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