नयी दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने आज राफेल विमान सौदे को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) राजीव महर्षि से मुलाकात की और इस सौदे में कथित तौर पर हुई ‘वित्तीय अनियमितताओं’ के संदर्भ में एक निश्चित समयसीमा के भीतर ‘विशेष एवं फोरेंसिक ऑडिट’ की मांग की। पार्टी नेताओं ने कैग को सौंपे ज्ञापन में आग्रह किया कि पूरे रिकॉर्ड की छानबीन करते हुए इसका ऑडिट होना चाहिए ताकि देश की जनता को सच का पता चल सके और मोदी सरकार की जिम्मेदारी तय हो सके।
कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक, वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा, जयराम रमेश, रणदीप सुरजेवाला, राजीव शुक्ला और विवेक तन्खा ने कैग से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। गौरतलब है कि कांग्रेस का आरोप कि मोदी सरकार ने फ्रांस की कंपनी दसाल्ट से 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का जो सौदा किया है, उसका मूल्य पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के शासनकाल में किए गये समझौते की तुलना में बहुत अधिक हैं जिससे सरकारी खजाने को हजारों करोड़ों रूपये का नुकसान हुआ है।
वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने सवाल किया कि मोदी सरकार कह रही है कि उसका सौदा सस्ता है। अगर ऐसा है तो उन्होंने सिर्फ 36 विमान क्यों खरीदे हैं, जबकि वायुसेना की तत्काल जरूरत 126 विमानों की है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘विमानों एवं हथियारों की जरूरत का फैसला रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएससी) करती है। परंतु प्रधानमंत्री मोदी ने पेरिस जाकर 126 विमानों के सौदे को 36 विमानों के सौदे में तब्दील कर दिया। प्रधानमंत्री ने रक्षा खरीद प्रक्रियाओं का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया है।’’
रक्षामंत्री निर्मला सीतारामन ने एंटनी के आरोपों का जवाब दिया, जिसमें उन्होंने 2000 में भारतीय वायुसेना द्वारा मांगे गए 136 विमानों को घटाकर 36 विमान करने पर मोदी सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने का आरोप लगाया है।
रक्षामंत्री ने कहा, "उन्होंने समझौता किया था, इसलिए वे जानते हैं कि वे कैसे आगे बढ़े। ये ओवर-द-काउंटर खरीद नहीं है। आर्डर दिए जाते हैं और उसके बाद इसका विनिर्माण होता है, इसलिए इसके लिए एक समयसीमा होती है।"
उन्होंने कहा, "सरकार ने कांग्रेस द्वारा उठाए गए मामले का संसद में जवाब दिया है, जिसमें बेसिक विमान के मूल्य के बारे में भी जवाब दिया गया। यह हमारा कर्तव्य था कि हम बेहतरीन मूल्य सुनिश्चित करें। बेसिक विमान के लिए जो कीमत आप(संप्रग) दे रहे थे, उसकी तुलना हमारे अंतरसरकारी समझौते के साथ की जाए तो, यह नौ प्रतिशत सस्ता है, और यह सच्चाई है।"
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