नई दिल्ली: कहा जाता है कि राजनीति में कुछ भी अछूत नहीं होता फिर वो कितनी भी विरोधी पार्टियां क्यों न हों। ऐसी ही एक मिसाल उत्तर प्रदेश में देखने को मिला जहां सपा और बसपा जैसी धुर-विरोधी पार्टियों ने सत्ता हासिल करने के लिए महागठबंधन बना लिया। वहीं ताजा मामला उत्तर-पूर्व राज्य मिजोरम का है जिसे जानकर आप चौंक जाएंगे। जी हां, यहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस ने सत्ता में रहने के लिए एक दूसरे का हाथ थाम लिया है। मिजोरम के चकमा स्वायत्त जिला परिषद (सीएडीसी) के लिए हुए चुनाव में न तो कांग्रेस और न ही बीजेपी को बहुमत मिला। ऐसे में दोनों ही पार्टियों के स्थानीय नेताओं ने गठबंधन कर परिषद पर कब्जा जमा लिया है।
20 सदस्यीय सीएडीसी के चुनाव में कांग्रेस ने छह और बीजेपी ने पांच सीट पर जीत तर्ज की है। वहीं मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) ने सबसे अधिक आठ सीटों पर कब्जा जमाया। ऐसे में सत्ता के लिए जरूरी 11 सीट हासिल करने में सभी पार्टी दूर रही। एक सीट के चुनाव पर मिजोरम हाईकोर्ट रोक लगा चुकी है। अब बीजेपी और कांग्रेस ने हाथ मिलाकर बहुमत हासिल कर लिया है। सीएडीसी के लिए 20 अप्रैल को वोट डाले गये थे।
मिजोरम के खेल मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि दोनों दलों (बीजेपी-कांग्रेस) के स्थानीय नेताओं ने समझौता किया है और चुनाव बाद यह गठबंधन बना। उन्होंने आगे कहा कि इस गठबंधन से राज्य के विधानसभा चुनावों से कोई संबंध नहीं है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हालांकि इस अप्रत्याशित कदम से राज्य बीजेपी नाराज है। बीजेपी सूत्रों ने कहा कि पार्टी कांग्रेस से हाथ मिलाने वाले अपने नेताओं पर कार्रवाई कर सकती है। बीजेपी के एक नेता ने कहा कि पार्टी के गुवाहाटी और दिल्ली नेतृत्व के फैसले का हम इंतजार कर रहे हैं।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक गठबंधन फॉर्मूले के तहत बीजेपी के संती जीबान चकमा चकमा स्वायत्त जिला परिषद के नेता होंगे वहीं कांग्रेस के बुद्ध लीला चकमा सदन के उपनेता होंगे। सीएडीसी एक स्वायत्त परिषद है। जिसका गठन 29 अप्रैल 1972 को संविधान की छठी अनुसूची के तहत किया गया था। सीएडीसी के पास अपनी विधायी, कार्यकारी और न्यायिक शक्तियां है। जिसके इस्तेमाल वह अपने क्षेत्रों में करती है। परिषद सीएडीसी के क्षेत्र में आवंटित विभागों पर विधायी, कार्यकारी और न्यायिक शक्तियों का प्रयोग करती है।
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