नई दिल्ली: जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रवाधानों हटने के बाद माना जा रहा था कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का अगला लक्ष्य देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करना होगा। पिछले कुछ समय से इस बारे में चर्चा तेज हो चली थी कि सरकार इस दिशा में जल्द ही अपने कदम आगे पढ़ा सकती है। हालांकि बुधवार को सरकार ने संसद में बयान देकर इस बारे में उड़ रही सभी बातों पर फिलहाल विराम लगा दिया। सरकार ने लोकसभा में कहा कि वह समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन व्यापक परामर्श के बाद।
जानें, संसद में क्या कहा रविशंकर ने
सरकार ने बुधवार को कहा कि भारत के संविधान में सभी राज्य क्षेत्र के नागरिकों के लिए एक समान ‘सिविल संहिता’ के लिए प्रयास करने की बात कही गई है हालांकि इसके लिए व्यापक स्तर पर विचार विमर्श अपेक्षित है। लोकसभा में दुष्यंत सिंह के प्रश्न के लिखित उत्तर में विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘भारत के संविधान का अनुच्छेद 44 कहता है कि राज्य, भारत के समस्त राज्य क्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त कराने का प्रयास करेगा।’
क्या अल्पसंख्यक का दर्जा खत्म होगा?
हालांकि कानून मंत्री ने साथ ही यह भी कहा कि उनकी सरकार जनादेश के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन समान नागरिक संहिता या यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए एक बड़े स्तर पर परामर्श किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘सरकार इस संवैधानिक जनादेश के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है। तथापि इसके लिए व्यापक स्तर पर परामर्श अपेक्षित हैं।’ यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार की समान नागरिक संहिता के अंतर्गत कुछ धर्मो को प्रदत्त अल्पसंख्यक दर्जे को समाप्त करने की योजना है, मंत्री ने इसका ‘नहीं’ में जवाब दिया।
क्या होता है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
समान नागरिक संहिता अथवा समान आचार संहिता (Uniform Civil Code) का अर्थ एक पंथनिरपेक्ष (सेक्युलर) कानून होता है जो सभी पंथ के लोगों के लिए समान रूप से लागू होता है। इसको अलग तरीके से कहा जाए तो इस व्यवस्था के अंतर्गत अलग-अलग पंथों के लिये अलग-अलग सिविल कानून नहीं होता है और यही 'समान नागरिक संहिता' का मूल भावना है। समान नागरिक कानून से अभिप्राय ऐसे कानूनों से है जो देश के समस्त नागरिकों (चाहे वह किसी पंथ क्षेत्र से संबंधित हों) पर लागू होता है। ये कानून किसी भी पंथ जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होते हैं। (भाषा से इनपुट्स के साथ)
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