'JDU को नुकसान पहुंचाने का मकसद हुआ पूरा', इंडिया टीवी से बोले चिराग पासवान
बिहार विधानसभा चुनाव में NDA से अलग होकर चुनाव लड़ने वाली लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को सिर्फ एक सीट मिली लेकिन वोटकटवा के तौर पर चिराग पासवान ने एनडीए को बड़ा नुकसान पहुंचाया।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में NDA से अलग होकर चुनाव लड़ने वाली लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को सिर्फ एक सीट मिली लेकिन वोटकटवा के तौर पर चिराग पासवान ने एनडीए को बड़ा नुकसान पहुंचाया। इंडिया टीवी से एक्सक्सूलिव बातचीत में चिराग पासवान ने कहा है कि उन्होंने जनता दल यूनाइटेड (JDU) को नुकसान पहुंचाने का अपना मकसद पूरा कर लिया। इसके अलावा भी अलग चुनाव लड़कर लोजपा के कई लक्ष्य पूरे किए, सिर्फ नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनने से नहीं रोक सके।
बता दें कि इससे पहले जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने चिराग पासवान पर सीधा हमला किया और कहा कि चिराग पासवान एनडीए के सबसे बड़े दुश्मन रहे। चिराग खुद बर्बाद हुए और उन्हें भी बर्बाद कर दिया। केसी त्यागी ने कहा कि बिहार एनडीए का मतलब नीतीश कुमार है। पीएम मोदी से लेकर जेपी नड्डा तक सबने ये साफ किया है कि नीतीश ही मुख्यमंत्री बनेंगे।
केसी त्यागी ने कहा, हमारे खिलाफ बड़ी साजिशें थी। हमारे अपने भी और पराये भी सबका एजेंडा था नीतीश हटाओ, उनके खिलाफ अभियान चलाओ, 15 साल के कामों को नकारो और बिहार को अंधेरे युग में लेकर चले जाओ। उन्होंने कहा, इसमें हमारे विरोधी तो लगे थे और हमारे एक सहयोगी ने भी इसमें काम किया। लेकिन हमारे 15 साल के काम सब चीजों पर भारी पड़े और अंत मे एनडीए की जीत हुई। आगे उन्होंने कहा, चिराग पासवान ने जिस निम्न स्तर पर जाकर चुनाव प्रचार किया और नीतीश कुमार के खिलाफ जिस भाषा का इस्तेमाल किया, प्रधानमंत्री के और भाजपा के नाम को लेकर उन्होंने जो कलाबाजियां की उससे वे खुद तो बर्बाद हुए ही साथ में हमें काफी सीटों पर नुकसान पहुंचाने का काम किया और एनडीए के सबसे बड़े दुश्मन साबित हुए।
बता दें कि बिहार में सत्ता विरोधी लहर और विपक्ष की कड़ी चुनौती को पार करते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले राजग ने बिहार में बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल हासिल कर लिया। सत्तारूढ़ गठबंधन ने बिहार विधानसभा की 243 सीटों में से 125 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि विपक्षी महागठबंधन ने 110 सीटें जीतीं। इसके साथ की कुमार के लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की राह साफ हो गई है। हालांकि इस बार उनकी पार्टी जदयू को 2015 जैसी सफलता नहीं मिली है। जदयू को 2015 में मिली 71 सीटों की तुलना में इस बार 43 सीटें ही मिली हैं।