मध्य प्रदेश: लोकसभा चुनाव में लगे झटके बाद अब कांग्रेस सरकार और संगठन में बड़े बदलाव के आसार
कांग्रेस के भीतर चल रही बदलाव की कवायद के सवाल पर पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है, "मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधानसभा चुनाव के बाद ही प्रदेशाध्यक्ष का पद त्यागने का मन बनाया था, मगर पार्टी हाईकमान ने उन्हें पद पर बने रहने को कहा था। अब प्रदेशाध्यक्ष पद में बदलाव हो सकता है।"
भोपाल| लोकसभा चुनाव में हार के बाद मध्य प्रदेश में सत्तासीन कांग्रेस सरकार और संगठन में बड़े बदलाव के आसार दिख रहे हैं। एक तरफ जहां मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा हो रही है, वहीं लोकसभा चुनाव में विधानसभावार आए नतीजों का अध्ययन किया जा रहा है।
राज्य में लगभग छह माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा के मुकाबले अपनी स्थिति मजबूत करते हुए डेढ़ दशक बाद सत्ता हासिल की, मगर लोकसभा चुनाव में तस्वीर उलट गई। राज्य की 29 में से 28 सीटों पर भाजपा को जीत मिली और कांग्रेस सिर्फ एक सीट तक सिमट गई। राज्य विधानसभा की 230 सीटों में से कांग्रेस ने 114 पर जीत दर्ज कराई थी।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है, "लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 19 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली। सरकार के 29 मंत्रियों में से सिर्फ चार मंत्री लाखन सिंह यादव, इमरती देवी, ओंकार सिंह मरकाम और उमंग सिंघार के क्षेत्रों में ही कांग्रेस उम्मीदवार आगे रहे। वहीं 25 मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस उम्मीदवारों को पिछड़ना पड़ा। इससे कई मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड बिगड़ा है।"
कांग्रेस के एक सूत्र ने कहा, "लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सरकार और संगठन में कसावट की तैयारी तेज कर दी है। वह एक तरफ मंत्रियों के साथ विभागीय समीक्षा कर रहे हैं, वहीं संगठन के भावी चेहरे की तलाश में भी लगे हैं। आगामी दिनों में मंत्रिमंडल से कई चेहरों के बाहर होने और कुछ के अंदर आने की संभावना है। नए प्रदेशाध्यक्ष की ताजपोशी भी तय है।"
कांग्रेस के भीतर चल रही बदलाव की कवायद के सवाल पर पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है, "मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विधानसभा चुनाव के बाद ही प्रदेशाध्यक्ष का पद त्यागने का मन बनाया था, मगर पार्टी हाईकमान ने उन्हें पद पर बने रहने को कहा था। अब प्रदेशाध्यक्ष पद में बदलाव हो सकता है।"
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों कांग्रेस की कोर कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें के पार्टी के बड़े नेताओं ने चुनाव में हार, पार्टी संगठन, मंत्रिमडल विस्तार से लेकर निगम-मंडलों के अध्यक्षों की नियुक्ति पर चर्चा की थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ 14 जून से दिल्ली के दौरे पर जाने वाले हैं। इस प्रवास के दौरान वह पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा अन्य नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। इन मुलाकातों में भावी रणनीति पर चर्चा की संभावना है। इसके बाद मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है, "राज्य मंत्रिमंडल के 29 सदस्यों में मुख्यमंत्री कमलनाथ के अलावा प्रमुख नेता दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों की संख्या ज्यादा है। मंत्रिमंडल बदलाव में तीनों ही अपने एक-एक समर्थक को बाहर कराने वाले हैं और नए लोगों को स्थान दिए जाने की संभावना है। इस पर नेताओं में सहमति बन चुकी है। बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के अलावा लोकसभा चुनाव में अपने क्षेत्र में जीत दिलाने वाले विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। विधायकों को निगम और मंडलों का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।"
जहां तक नए प्रदेशाध्यक्ष का सवाल है, इस पद को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं में फिलहाल खींचतान चल रही है। कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और सिंधिया अपनी पसंद का अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। फिलहाल दौड़ में पूर्व मंत्री अजय सिंह, रामनिवास रावत, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, वर्तमान मंत्री बाला बच्चन और सज्जन वर्मा शामिल हैं। बड़े नेताओं में किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनने पर नए चेहरे को मौका मिल सकता है।
राजनीति विश्लेषक संतोष गौतम का कहना है, "राज्य में कमलनाथ सरकार और कांग्रेस संगठन के सामने अपनी विशिष्ट छाप छोड़ने की चुनौती है। लिहाजा सरकार और संगठन को अपने तेवर तीखे करके जनता के बीच जाना होगा। यह तभी संभव है, जब एक सक्षम और जनता के बीच लोकप्रिय नेता को अध्यक्ष बनाया जाए और मुख्यमंत्री का सारा जोर सिर्फ सरकारी कामकाज पर हो।"