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कांग्रेस में बदलाव की बयार के पीछे कहीं युवाओं को लुभाने की कवायद तो नहीं

गुजरात चुनाव के बाद कर्नाटक विधानसभा के चुनाव कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होने जा रहे हैं...

<p>rahul gandhi</p>- India TV Hindi rahul gandhi

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले कुछ समय में पार्टी में युवा चेहरों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का सिलसिला शुरू कर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी कोर टीम ही नहीं बल्कि पार्टी कार्यसमिति में भी नए चेहरों को तरजीह देंगे और आम चुनाव की वैतरणी को युवा मतदाताओं की डोर थामकर पार करने की रणनीति पर काम करेंगे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, राहुल ने 18 मार्च को पार्टी के महाधिवेशन में संगठन के भीतर युवा एवं अनुभवी पीढ़ी के बीच की दीवार गिराने की जो बात कही थी, उसे उन्होंने अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है। ऐसे में यदि वह नई कार्यसमिति में कुछ बड़े नामों की छुट्टी कर दें तो इसे आश्चर्य के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि पार्टी में संगठन महासचिव के महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी अशोक गहलोत को सौंप कर राहुल ने यह भी संदेश दिया है कि ‘जमीनी स्तर पर काम करने वाले अविवादित एवं अनुभवी नेताओं की अनदेखी नहीं की जाएगी।’ गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान गहलोत के साथ राहुल ने करीब से काम किया था तो उनकी कार्यशैली को अच्छी तरह परखा-भांपा भी था।

गुजरात चुनाव के बाद कर्नाटक विधानसभा के चुनाव कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होने जा रहे हैं। इस चुनाव के नतीजों की प्रतिध्वनि अगले साल लोकसभा चुनाव तक में सुनी जाएगी। राहुल गांधी कर्नाटक चुनाव से पहले पार्टी की कार्यसमिति का गठन करते हैं या नहीं, यह अभी तक तय नहीं है। किंतु उन्होंने गहलोत को पार्टी का संगठन महासचिव बनाकर एक तरह से कार्यसमिति के गठन की अनौपचारिक शुरुआत कर दी हैा आमतौर पर नये अध्यक्ष के बनने के बाद पहले कार्य समिति ही बनती थी।

पिछले सप्ताह कांग्रेस अध्यक्ष ने तीन नए चेहरों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी। गुजरात के चार बार के विधायक अमित चावड़ा को गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष बनाया गया। उन्हें भरत सिंह सोलंकी की जगह यह जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा लोकसभा सदस्य राजीव सातव को गुजरात का प्रभारी बनाया गया। इसी प्रकार पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह को ओड़िशा का प्रभारी बनाया गया है। पार्टी अध्यक्ष बनने से पहले ही राहुल गांधी ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरपीएन सिंह को झारखंड का प्रभारी एवं लोकसभा सदस्य सुष्मिता देव को अखिल भारतीय महिला कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था।

पार्टी में सामर्थ्यवान युवाओं को आगे बढ़ाने का राहुल गांधी का संदेश संगठन के निचले पायदानों तक उतरने लगा है। गुजरात पीसीसी के नवनियुक्त अध्यक्ष अमित चावड़ा ने अपनी प्राथमिकताओं की चर्चा करते हुए कहा कि वह राज्य भर का दौरा कर जमीनी स्तर पर काम करने वाले युवा कार्यकर्ताओं को सामने लायेंगे। हालांकि उन्होंने भी अपने नेता की तरह कहा कि अनुभवी नेताओं की राज्य में अनदेखी नहीं की जाएगी। चावड़ा ने कहा कि राहुल गांधी ने उनसे यही कहा कि युवा संगठन के साथ जुड़ें और तथा राजनीति के माध्यम से वे सार्वजनिक जीवन और राष्ट्र निर्माण के लिए काम करें।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस की रणनीति अगले आम चुनाव के लिए बहुत हद तक युवाओं पर ध्यान केन्द्रित करने की है। युवाओं से जुड़े हर मुद्दे को वह आगे बढ़कर उठाने का प्रयास कर रही है। बेरोजगारी के मुद्दे पर तो वह पिछले दो साल से काम कर ही रही थी। किंतु एसएससी परीक्षाओं में गड़बड़ी तथा अब सीबीएसई परीक्षा पत्रों के लीक होने के मुद्दे को पार्टी ने सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक पूरे दमखम के साथ उठाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनकी सरकार पर तीखा हमला बोला है।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार तथा कई अन्य राज्यों में जमीनी स्तर पर पार्टी का निष्प्रभावी संगठन तथा इन क्षेत्रों में जाति के आधार पर बंटे वोट बैंक में सेंध लगाने की कम गुंजाइश को देखते हुए युवा मतदाताओं का भरोसा जीतना ही एक ऐसा मंत्र है, जिसका जादू भारत की हर भौगोलिक सीमा में जग सकता है। उन्होंने ध्यान दिलाया कि पिछले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने भी सोशल मीडिया के जरिये इस वर्ग को अपनी तरफ लाने में काफी हद तक सफलता पाई थी।

राहुल ने पार्टी महाधिवेशन के मंच को खाली रखकर युवा शक्ति को यह स्पष्ट संदेश दिया था कि उनके लिए संगठन के द्वार खुले हुए हैं। किंतु इस बात को अमली जामा पहनाने में उन्हें कार्यसमिति के गठन सहित तमाम चुनौतियों से गुजरना होगा।

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