नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सर्वदलीय बैठक के बाद केंद्र सरकार से रमजान और अमरनाथ यात्रा को देखते हुए आतंकियों के खिलाफ एकतरफा सीजफायर करने की अपील की है। सर्वदलीय बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए महबूबा मुफ्ती ने फिर से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी की जम्मू-कश्मीर नीति को अपनाने की बात दोहराई।
उन्होंने कहा कि रोज-रोज की मुठभेड़ों, प्रदर्शनों और तलाशी अभियानों से आम आदमी को बहुत परेशानी हो रही है। कुछ ऐसे कदम उठाएं जाएं, जिनसे यहां सुरक्षा-विश्वास का माहौल बने और आम लोगों को राहत मिले। महबूबा ने कहा कि आगे पाक रमजान महीना, श्री अमरनाथ यात्रा और ईद भी आने वाली है, इसलिए केंद्र को एकतरफा संघर्ष विराम के विकल्प पर विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों ने इस बात पर सहमति जताई है कि जैसे 2000 में वाजपेयी जी ने एकपक्षीय युद्धविराम किया था, उसी तरह इस सरकार को भी इस पर सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई से आम लोगों को भी खासी समस्याएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि रमजान का और अमरनाथ यात्रा को देखते हुए हमारी कोशिश शांतिपूर्ण हालात बनाए रखने की है।
बता दें कि कश्मीर में हालात सामान्य बनाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 19 नवंबर 2000 को एकतरफा संघर्ष विराम का एलान किया था। उस समय रमजान का मुबारक महीना चल रहा था। इसलिए इसे रमजान सीजफायर भी कहते हैं। यह सीजफायर सिर्फ वादी के भीतरी इलाकों तक सीमित था और सुरक्षाबलों को अपनी तरफ से आतंकियों पर किसी तरह की कार्रवाई न करने को कहा गया था। अगर आतंकी कहीं हमला करते तो उन पर जवाबी कार्रवाई की छूट थी। शुरू में यह सिर्फ एक माह के लिए था, लेकिन बाद में इसे समय-समय पर विस्तार देते हुए 31 मई 2001 तक बढ़ाया गया था।
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