चेन्नई: पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) के संस्थापक एस. रामदास ने गुरुवार को कहा कि कर्नाटक सरकार कावेरी मुद्दे पर न्यापालिका और विधायिका के बीच टकराव पैदा करने का प्रयास कर रही है। इसके लिए कर्नाटक सरकार को कड़ा सबक सिखाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कर्नाटक का यह कहना कि उसके पास देने के लिए पानी नहीं है, सरासर झूठ है।
रामदास ने एक बयान में कहा कि कर्नाटक सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना करते हुए बुधवार को तमिनाडु के लिए कावेरी नदी का 6,000 क्यूसेक पानी छोड़ना स्थगित करने का फैसला किया।
केवल इतना ही नहीं, कर्नाटक मंत्रिमंडल ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक, पानी छोड़ने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए विधायिका का एक सत्र बुलाने का फैसला किया है।
रामदास के मुताबिक, विधानसभा के विशेष सत्र में पानी छोड़ने के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया जा सकता है, जिसके बाद एक राजनीतिक-कानूनी समस्या पैदा हो सकती है कि सर्वोच्च न्यायालय सर्वोपरि है या राज्य विधायिका।
उन्होंने कहा कि जब मामला 27 सितंबर को सुनवाई के लिए शीर्ष न्यायालय में आएगा तो कर्नाटक कह सकता है कि उसकी विधायिका ने पानी न देने का फैसला किया है।
यदि सर्वोच्च न्यायालय कर्नाटक के इस कदम की निंदा करता है तो विधायिका और न्यायपालिका के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
रामदास ने कहा कि कर्नाटक में कावेरी नदी पर बने चार बांधों में बुधवार रात को पानी के बहाव की स्थिति 10,460 क्यूसेक थी।
इसके अलावा इन बांधों से 5,846 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। कर्नाटक को स्पष्ट करना चाहिए कि इतना पानी क्यों छोड़ा जा रहा है।
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