कैबिनेट विस्तार: सिर्फ योग्यता ही नहीं, इस आधार पर भी मिले मंत्री पद और प्रमोशन?
सरकार के इस कदम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुशासन पर विशेष ध्यान केंद्रित करने के कदम तौर पर तो देखा ही जा रहा है, साथ ही इस विस्तार में भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक आयामों का भी विशेष ध्यान रखा गया है...
नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तीसरे और संभवत: अंतिम मंत्रिमंडल विस्तार में शुक्रवार को 9 नए मंत्रियों को शामिल किया गया। इसके साथ ही 4 राज्यमंत्रियों को प्रमोशन देकर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। सरकार के इस कदम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुशासन पर विशेष ध्यान केंद्रित करने के कदम तौर पर तो देखा ही जा रहा है, साथ ही इस विस्तार में भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक आयामों का भी विशेष ध्यान रखा गया है। 2019 में लोकसभा चुनावों के पहले कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं, इसलिए इस मंत्रिमंडल विस्तार को काफी अहम माना जा रहा है।
ओडिशा के ‘चेहरे’ धर्मेंद्र प्रधान को प्रमोशन
कैबिनेट मंत्री के रूप में शुक्रवार को शपथ लेने वाले धर्मेंद्र प्रधान ओडिशा में पार्टी का चेहरा बनकर उभरे हैं। पेट्रोलियम मंत्री के रूप में उनके नेतृत्व में गरीब परिवारों को मुफ्त LPG कनेक्शन देने की पेट्रोलियम मंत्रालय की ‘उज्ज्वला योजना’ को बीजेपी ने अपनी राजनीतिक सफलताओं में गिनाया है। ओडिशा यूं भी बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की सूची में प्राथमिकता वाले राज्यों में हैं। पार्टी को उम्मीद है कि 2019 में एक साथ होने वाले लोकसभा चुनाव और ओडिशा विधानसभा चुनाव से पहले प्रधान को कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत किए जाने से इस तटीय राज्य में उसे फायदा मिल सकता है।
नकवी और अल्फोंस के सहारे अल्पसंख्यकों पर नजर
इसी तरह मुख्तार अब्बास नकवी को कैबिनेट मंत्री बनाए जाने और पूर्व IAS अधिकारी अल्फोंस कन्ननथनम को मंत्रिमंडल में शामिल करने से बीजेपी को अल्पसंख्यक समुदाय के बीच पैठ बढ़ने की संभावना लगती है। केरल से ईसाई समुदाय से ताल्लुक रखने वाले कन्नथनम 1979 बैच के IAS अफसर हैं। 1989 में उनके DM रहते कोट्टायम 100 फीसद साक्षरता वाला देश का पहला शहर बना था। बीजेपी केरल में भी अपना आधार बढ़ाने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। बीजेपी केरल में काफी संख्या में रहने वाली ईसाई आबादी को लुभाने के लिए अनेक प्रयास करती रही है लेकिन उसे अभी तक बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिली है। नकवी मोदी सरकार में एकलौते मुस्लिम कैबिनेट मंत्री होंगे।
9 नए मंत्रियों से भी जातियां साधने की कोशिश
9 नए मंत्रियों में शिव प्रताप शुक्ला, अश्विनी कुमार चौबे और अनंत कुमार हेगड़े जहां ब्राह्मण समुदाय से आते हैं तो आर के सिंह और गजेंद्र सिंह शेखावत राजपूत हैं। सत्यपाल सिंह जाट समुदाय से आते हैं, वहीं वीरेंद्र कुमार दलित समुदाय से हैं। साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनावों में बीजेपी की बड़ी हार के बाद उम्मीदवारों के चयन को लेकर नाराजगी जताने वाले आर के सिंह पर भी पार्टी ने भरोसा जताया है। राजपूत वर्ग से आने के साथ ही प्रशासनिक ट्रैक रिकॉर्ड और ईमानदार छवि वाले सिंह पर मोदी ने विश्वास जताया है। इसी राज्य से दूसरे राजपूत नेता राजीव प्रताप रूडी को मंत्री पद से हटाया गया है। उत्तर प्रदेश के जाट नेता संजीव बाल्यान को मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद इसी समुदाय के सत्यपाल सिंह को मंत्री बनाया गया है जो मुंबई के पुलिस कमिश्नर रह चुके हैं और प्रशासनिक कामकाज का अनुभव रखते हैं।
राजस्थान और मध्य प्रदेश चुनावों पर नजर
दलित नेता वीरेंद्र कुमार मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से सांसद हैं जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। वह संघ में अच्छा प्रभाव रखते हैं और 6 बार से लोकसभा सदस्य हैं। अनंत कुमार हेगड़े कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ से लोकसभा सांसद हैं। 28 साल की उम्र में पहली बार सांसद बनने के बाद लोकसभा में उनकी यह पांचवीं पारी है। गजेंद्र सिंह शेखावत जोधपुर, राजस्थान से लोकसभा सदस्य हैं। राजस्थान में भी अगले साल चुनाव होंगे।